शराबबंदी बाद घरेलू हिंसा,महिला उत्पीड़न,सड़क दुर्घटना जैसे मामलों में कमी-नीतीश कुमार

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संवाददाता.पटना.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नशा मुक्ति दिवस के मौके पर कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा,महिला उत्पीड़न,सड़क दुर्घटना जैसे मामलों में कमी आई है।

इससे पूर्व  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अधिवेशन भवन में आयोजित नशा मुक्ति दिवस कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सैंड आर्टिस्ट मानस कुमार साहू ने नशा मुक्ति से संबंधित बालू पर आकृतियां उकेरकर लोगों को जागरूक किया। किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों ने नशा मुक्ति से जुड़े जन जागरूकता गीत की प्रस्तुती दी। वहीं किलकारी बिहार बाल भवन की दो छात्राओं पूनम और खुशी ने शराबबंदी के संदर्भ में अपने अनुभव साझा किये।

इस अवसर पर नशा मुक्ति दिवस में मध निषेध पर आधारित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। इस कार्यक्रम में सभी पंचायतों के मुखिया को भेजे गए संदेश का अनावरण मुख्यमंत्री ने रिमोट के माध्यम से किया। मोबाइल पर जनता के नाम भेजे गये अपने ऑडियो संदेश का लोकार्पण मुख्यमंत्री ने मोबाइल का बटन दबाकर किया। पूर्ण शराबबंदी को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने की दिशा में चलाए जा रहे निरंतर अभियान एवं की जा रही कार्रवाइयों में लगे लोगों तथा मद्य निषेध कोषांग के पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। अधिवेशन भवन में आयोजित नशा मुक्ति दिवस कार्यक्रम का वेबकास्टिंग के माध्यम से बिहार के सभी 38 जिलों में लाइव प्रसारण किया गया। इसके पूर्व अधिवेशन भवन प्रांगण में शराबबंदी से संबंधित बने सैंड स्कल्पचर एवं लगी प्रदर्शनी का भी मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नशा मुक्ति दिवस है और 2011 से ही हमलोगों ने 26 नवंबर के दिन बिहार में इसे मद्य निषेध दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है।हमलोग चाहते थे कि लोग शराब का सेवन कम करें, इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया, साथ ही शराबमुक्त समाज बनाने की दिशा में लगे लोगों को हमलोगों ने पुरस्कृत करने का भी काम किया। 1 अप्रैल 2016 से बिहार में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी लागू करने की घोषणा की थी।

इसके बाद निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया, विभाग का नाम बदलकर मद्य निषेध किया गया, पालिसी में परिवर्तन किया गया, शराब नहीं पीने और दूसरों को प्रेरित करने का संकल्प दिलाया गया, नारे लिखे गये और जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गये। एक करोड़ से ज्यादा बच्चों के अभिभावकों ने शराब नहीं पीने एवं दूसरों को शराब नहीं पीने के लिये प्रेरित करने का भी संकल्प लिया। 1 अप्रैल 2016 से बिहार में देशी शराब पर पाबंदी लगाई गयी। लोगों पर इसका असर इतना व्यापक हुआ कि 4 दिन के अंदर ही पूरे बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की घोषणा करनी पड़ी। 5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई। इसके बाद शराबबंदी से नशा मुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला बनायी गयी, जिसमें 4 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया, जो बिहार की आबादी के एक-तिहाई

हैं। यह मानव श्रृंखला दुनिया के लिए नया रिकॉर्ड बना। इसके बाद इसी साल 21 जनवरी 2018 को बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ सरकारी तंत्र और कानून के भरोसे हमें पूर्ण कामयाबी नहीं मिलेगी बल्कि इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाकर लोगों को सजग, सक्रिय और सतर्क करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के बाद भी चोरी-छिपे चंद धंधेबाज और विकृत मानसिकता के लोग छोटे बच्चों का उपयोग कर शराब की आपूर्ति करने में लगे हैं, जिन पर कार्रवाई हो रही है।

शराब सेवन से स्वास्थ्य और समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन  की  रिपोर्ट  के  एक  जिस्ट का  उल्लेख  करते हुए मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  वर्ल्ड  हेल्थ

आर्गेनाइजेशन के अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2016 में दुनिया भर में जितनी मौतें हुई हैं, उसमें

5.3 प्रतिशत मौत शराब सेवन से हुई है।शराब के कारण होने वाली मौतों में बूढ़ों की अपेक्षा

युवाओं का मृत्यु दर अधिक है।शराब सेवन करने वाले 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों का मृत्यु दर 13.5 है। उन्होंने कहा कि टी0वी0, एच0आई0वी0 और मधुमेह से होने वाली मौत की तुलना में शराब सेवन से अधिक मौत हो रही है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट के अनुसार शराब 200 से अधिक बीमारियों को बढ़ाता है। शराब सेवन से कैंसर, एड्स, टी0वी0, लीवर, दिल की बीमारी, मानसिक बीमारी, आनुवांशिक बीमारियों के साथ ही मनुष्य हिंसक प्रवृति का शिकार हो जाता है। दुनिया भर में जो आत्महत्याएं हो रही हैं, उसमें से 18 प्रतिशत सुसाइड की घटनाएँ शराब के कारण हो रही हैं। विश्व भर में 18 प्रतिशत आपसी झगड़ों में मौत, 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना और 13 प्रतिशत मिर्गी के कारण मौत की घटनाएँ शराब के कारण ही हुआ करती हैं। मद्य निषेध विभाग और आई0जी0 प्रोहिबिशन वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की इफेक्टिव रिपोर्ट की एक जिस्ट बिहार के एक-एक गाँव तक लोगों के बीच पहुँचा दें ताकि लोग शराब सेवन से होने वाली मौतों और बीमारियों से अवगत हो सकें।

‘नशा मुक्ति दिवस’ को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के साहसिक निर्णय का विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने समर्थन किया था और आज नजीर बनी बिहार की शराबबंदी का असर पूरे देश में दिखने लगा है। बिहार का ही प्रभाव है कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि सरकारों के अलावा सुप्रीम कोर्ट तक को शराबबंदी को लेकर पहल करनी पड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार की शराबबंदी का ही प्रभाव है कि महाराष्ट्र सरकार ने चन्द्रपुर और गढ़चिरौरी में शराबबंदी का निर्णय लिया है जबकि गांधी से जुड़े होने के कारण वार्धा में पहले से ही शराबबंदी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी नेशनल और स्टेट हाईवे के 5 किमी के दायरे में शराब की आउटलेट नहीं खोलने का निर्देश दिया है। बिहार अकेला राज्य है जहां पूर्ण शराबबंदी है जबकि गुजरात, मिजोरम व नागालैंड में आंशिक शराबबंदी हैं।

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