संवाददाता.पटना.जनता दल यूनाइटेड के विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने राजद और कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के सामने अस्तित्व का संकट है। कांग्रेस तो तीन दशक पहले ही बिहार में वजूद खो चुकी थी, पिछले डेढ़ दशकों में राजद की भी यही गति रही है। राजद के युवराज तेजप्रताप और तेजस्वी यादव बिना मेहनत किए राजनीति में पदस्थापित हो गए। जैसे घर की संपत्ति मिलती है, सत्ता में भी उसी प्रकार स्थान मिल गया। लेकिन इन दोनों को अपनी बोली पर नियंत्रण नहीं है। बिना जाने-समझे किसी के बारे में भी बकवास करने का संस्कार इन दोनों में स्पष्ट दिखता है।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी-तेजप्रताप कह रहे हैं कि जदयू की महागठबंधन में नो एंट्री है। तो उन्हें यह बताना चाहिए कि उनके साथ जाने के लिए आवेदन दे कौन रहा है। अमर्यादित शब्दों के मास्टर हैं दोनों भाई, अपशब्द इन दोनों के मुंह में ठूंसे रहते हैं। राजद और कांगेस सत्ता में आने के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन यह समझ लें कि जनता ने दोनों की एंट्री पर पहले ही बैन लगा दिया है।
डॉ. नंदन ने कहा कि हमारे नेता माननीय नीतीश कुमार जी मर्यादित व्यक्ति हैं। तेजप्रताप और तेजस्वी उन्हें चाचा कहते हैं लेकिन चाचा यानि अभिभावक का न उन्हें अर्थ पता है और न उनमें सम्मान देने का संस्कार है। उनके इस अमर्यादित आचरण से स्पष्ट प्रतीत होता है कि ये अपने पिता लालू प्रसाद यादव के साथ भी अमर्यादित ही रहते होंगे।
उन्होंने तेजप्रताप और तेजस्वी की निरंकुशता के बारे में कहा कि दोनों कभी बूथ, पंचायत, प्रखंड, जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच गए रहते तो शायद इन्हें वास्तविक स्थिति का ज्ञान रहता। इन दोनों को बिना कुछ किए सब कुछ मिल जाने से भ्रम में फंस गए हैं। राजद को लग रहा है कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों पर सिर्फ इनका हक है। जबकि वास्तविक स्थिति है कि राजद ने अल्पसंख्यकों का वोट तो हमेशा लिया लेकिन उनके लिए कुछ भी नहीं किया। 2005 से पहले अल्पसंख्यक विभाग का बजट ही आठ करोड़ रुपए का था, आज यह बजट 800 करोड़ से उपर है। दलितों-महादलितों, पिछड़ा-अतिपिछड़ा, सवर्ण सभी वर्गों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने काम किया है। 10वीं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले सभी बच्चों को 10 हजार रुपए की राशि दी जाती है। यही नहीं डेढ़ लाख रुपए सालाना से कम आमदनी वाले सवर्णों को भी सभी कल्याणकारी योजनाओं में तमाम सुविधाएं बिहार सरकार की ओर से मिलती हैं।