जानें…केरल से बिहार पहुंचे वायरस से कैसे करें बचाव

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अनूप नारायण सिंह.

पटना. केरल में फैले निपाह वायरस को देखते हुए बिहार सरकार ने इससे बचाव के लिए एडवायजरी जारी की है। स्वास्थ्य विभाग ने केला, आम और ताड़ या खजूर के रस के सेवन में विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है। विभाग ने कहा है   कि चमगादड़ और सूअर जैसे जानवरों से दूरी बनाएं।

ये हैं बीमारी के मुख्य लक्षण

– विभाग के निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डॉ आरडी रंजन ने कहा कि अचानक बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी आदि लक्षण निपाह वायरस से होने वाली बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी में मस्तिष्क ज्वर भी हो जाता है। ऐसे मरीजों को जरूरत पड़ने पर गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराना पड़ सकता है।

क्या है निपाह वायरस

-डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1998 में मलेशिया में पहली बार निपाह वायरस का पता लगाया गया था। मलेशिया के सुंगई निपाह गांव के लोग सबसे पहले इस वायरस से संक्रमित हुए थे। इस गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा। उस दौरान ऐसे किसान इससे सं​क्रमित हुए थे जो सुअर पालन करते थे। मलेशिया मामले की रिपोर्ट के मुताबिक पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इंफेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे।

कैसे फैलता है निपाह

-एडवाइजरी के मुताबिक चमगादड़ और सूअर जैसे जानवर इस वायरस को फैलाते हैं। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने या इनके संपर्क में आई चीजों के सेवन से निपाह वायरस मनुष्यों तक पहुंचता है।

– निपाह वायरस से पीड़ित इंसान के संपर्क में आने से भी दूसरे शख्स को ये संक्रमण हो सकता है।

नीरा और ताड़ी से रहें दूर

– विभाग के निदेशक ने चमगादड़ और सुअरों के संपर्क से दूर रहने की सलाह दी है। केरल से बिहार आने वाले फलों को धोकर खाने और ताड़ी, नीरा और ताड़-खजूर का रस नहीं पीने को कहा है।

– घर के बाहर का खाना नहीं खाने और घर में भी अच्छी तरह पका खाना ही लेने की सलाह दी है। गिरे हुए या जानवरों के जूठे फल न खाएं।

– यदि सब्जियों पर जानवरों के काटे का निशान हो तो उसे न खाएं।

– अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज करें और चेहरे पर मास्क लगाकर सफर करें। व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। दिन में कई बार अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएं।

 

 

 

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