संवाददाता.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पूर्णिया में मरंगा स्थित बकरी पालन सह प्रजनन केंद्र में फ्रोजन सीमेन बैंक स्टेशन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी स्थापना से पशुपालन के क्षेत्र में बहुत बड़ा लाभ होगा। इसका संचालन एनडीडीबी यानि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के द्वारा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्नत किस्म के सांड एवं भैंसे की खरीद की जाएगी एवं उसके वीर्य का रखरखाव बेहतर ढंग से किया जाएगा जिसके द्वारा गाय एवं भैंस के गर्भधारण में काफी सहूलियत होगी। पहले परंपरागत ढंग से एक सांड के माध्यम से कई गायों का गर्भ धारण कराया जाता था जिससे कई तरह की बीमारियां गायों में फैलती थी। पशु वैज्ञानिकों ने इसके लिए काम किया और अब वीर्य को ठंडा करके सुरक्षित रखने की प्रक्रिया अपनाई गई। इस केंद्र पर यह काम बड़े पैमाने पर होगा जिससे इस क्षेत्र के किसानो को काफी फायदा पहुंचेगा। पशुओं के गर्भधारण के कार्य में सरकारी कर्मचारियों के साथ कई स्वयंसेवक भी लगे हुए हैं उनको भी ट्रेनिंग मिलेगी और इस कार्य में फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मरंगा के इस केंद्र का क्षेत्रफल 85 एकड़ भूमि में है अतः सारा इंतजाम करने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि अच्छी कीमत पर सांढ एवं भैंसे की खरीद के बाद उनके स्वास्थ्य एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस यूनिट की क्षमता 50 लाख बार गर्भधारण की होगी। यह बहुत बड़ी क्षमता है लेकिन जितनी जगह है उसका और विस्तार हो सकता है। इससे ना सिर्फ बिहार को फायदा होगा बल्कि उत्तर पूर्व के राज्यों को भी इसका फायदा मिलेगा। बिहार में अभी 3 लाख स्ट्रॉ की क्षमता है और 74 लाख की जरूरत है। इससे आप समझ सकते हैं कि कितने फ्रोजन सीमेन की जरूरत है। दो-तीन वर्षों में यह फ्रोजेन सिमेन बैंक स्टेषन पूरी क्षमता से कार्य करने लगेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 से 2012 के बीच पहला कृषि रोड मैप बनाया गया और अभी तीसरे कृषि रोड मैप पर काम शुरू किया गया है। इसमें अनाज, फल, सब्जी इत्यादि चीजों के उत्पादन में वृद्धि के साथ साथ कृषि के लिए विस्तृत और व्यापक नजरिया अपनाया गया है। हम लोगों का लक्ष्य है कि किसानों की आमदनी बढ़े और हर हिंदुस्तानी की थाल में बिहार का एक व्यंजन पहुंच जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन, मुर्गीपालन सब को बढ़ावा देने के लिए काम किया गया है। पशुपालन से किसानों की सबसे ज्यादा आमदनी होती है। बिहार की जी0डी0पी0 में कृषि क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है और उसमें भी पशु एवं मत्स्य का बहुत बड़ा योगदान है। यहां 89 प्रतिशत लोग गांव में रहते हैं और 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का साधन कृषि है। पशुपालन के क्षेत्र में विकास से ही कृषि का विकास होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। बिहार के 4 जिलों में यह योजना ट्रायल के तौर पर शुरू की गई है जिसमें प्रति किसान 6 हजार रूपये की सहायता दी जाएगी। हाल ही में 20 से 25 किसानों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई गई है। सब्जी के साथ साथ अन्य चीजों को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है। गाय के दूध एवं उसके उत्पाद मनुष्य के लिए काफी उपयोगी हैं, साथ ही गाय के गोबर जैविक कृषि के लिए खाद के रुप में काफी महत्वपूर्ण हैं। गोमूत्र का उपयोग कीटनाशक दवा के रूप में हो सकता है। कुछ दिन पहले अमेरिका के नोबेल पुरस्कार विजेता, वैज्ञानिक जोसेफ स्टिलगेट नालंदा के पास एक गांव में जैविक खेती से उत्पन्न फूलगोभी से काफी प्रभावित हुए थे और उन्होंने कहा था कि बिहार का किसान कृषि वैज्ञानिकों से समझदार एवं होशियार है।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस, लघु जल संसाधन एवं आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, एन0डी0डी0बी0 के अध्यक्ष दिलीप रथ, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव डॉ0 एन0 विजयलक्ष्मी ने भी सभा को संबोधित किया।
इस मौके पर सांसद संतोष कुशवाहा, विधायक लेसी सिंह, विधायक बीमा भारती, विधायक विजय खेमका, विधान पार्षद संजीव कुमार सिंह, जिला परिषद अध्यक्ष कांति देवी, महापौर विभा कुमारी, कृषि उत्पादन आयुक्त सुनील कुमार सिंह, भारत सरकार के संयुक्त सचिव मिहिर कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, अपर सचिव, पशुपालन मधुरानी ठाकुर, कम्फेड की एम0डी0 शिखा श्रीवास्तव, एन0डी0डी0बी0 के महाप्रबंधक जे0एस0 गांधी, निदेशक पशुपालन विनोद कुमार गुंजीयाल सहित जनप्रतिनिधिगण, वरीय पदाधिकारीगण, जीविका की दीदियां, किसान, पशुपालक एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।