अनूप नारायण सिंह.
भोजपुरी फिल्मों में ऐसे बहुत से कलाकार हैं जिनका भोजपुरी भाषा से दूर का नाता नहीं है, लेकिन जब वे फिल्मों में भोजपुरी बोलते हैं, तो उनके बोलने के अंदाज भोजपुरिया दर्शकों को लुभा जाते हैं। ऐसी ही एक अदाकारा हैं प्रिया शर्मा। प्रिया मूल रूप से पजाब के अमृतसर की हैं। वे इन दिनों कई भोजपुरी फिल्मों में काफी व्यस्त हैं। प्रस्तुत है उनसे बातचीत का संक्षिप्त अंश।
‘बेताब’ में आपकी भूमिका क्या है?
– इस फिल्म में मैं एक गरीब लड़की पूजा का किरदार निभा रही हूं, जिसका सपना है पढ़-लिखकर एक मुकाम हासिल करना। लेकिन पैसे की कमी के कारण पूजा आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती, तभी खेसारीलाल यादव, जो फिल्म में पूजा के मुंह बोले भाई के नाते पूजा की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाते हैं। पूजा पढ़कर इंस्पेक्टर बनती है और आगे क्या होता है, यह मैं अभी नहीं बता सकती। फिल्म की कहानी काफी सशक्त है। यह लोगों को पसंद आएगी।
आप पजाब की हैं। क्या वजह रही कि आपने पंजाबी की बजाय भोजपुरी फिल्म में काम करना पंसद किया?
-सच कहूं तो मेरे लिए भाषा ज्यादा मायने नहीं रखती। फिर मुझे अगर भोजपुरी फिल्मों के लोगों ने पूछा और पसंद किया, अवसर दिया तो मैं पंजाबी फिल्मों में कैसे आती? वैसे भी जहां काम अच्छा मिले, वही सबसे अच्छा होता है। मैं इसमें कोई बुराई नहीं देखती। आप अभिनय कैसा करते हैं, यह ज्यादा अहम बात है। आप में प्रतिभा है तो हर कोई आपको पूछेगा। वैसे मैं भोजपुरी फिल्मों में अभिनय करने से पहले पजाबी में काम कर चुकी हूं। काम की खोज में जब मैं मुंबई आई तो उस समय मुझे काम की जरूरत थी। उस समय मेरे लिए भाषा कोई मायने नहीं रखती थी। तभी मुझे भोजपुरी फिल्म का ऑफर मिला जिसे मैंने स्वीकार कर लिया। भोजपुरी की मेरी पहली फिल्म ‘मारे करेजवा में तीर’ आई, जिसमें दर्शकों को मेरा काम पसद आया। उसके बाद निर्माताओं ने भी मुझ पर भरोसा किया और कई फिल्में करने को मिलीं।
फिल्म में काम करने से पहले क्या आपने भोजपुरी बोलना सीखा?
-नहीं, मुझे इसका जरा भी ज्ञान नहीं था, लेकिन फिल्में देखकर, लोगों से सुनकर मैं इतना तो जान ही गई थी कि उसका टोन क्या होता है और कैसे बोली जाती है। मैंने उसके लिए थोड़ी तैयारी की और काम मिला तो साथी कलाकारों के साथ बोलते हुए मैंने उसे सीखा। मेरी समझ से कोई काम मुश्किल नहीं होता। शुरू में कुछ परेशानी आई, लेकिन अब तो मैं पक्की भोजपुरिया हो गई हूं। मेरी कई फिल्में आ चुकी हैं।
भोजपुरी फिल्मों में काम करके कैसा महसूस करती हैं?
-शुरू में मेरे मन में ख्याल आया था कि भोजपुरी फिल्मों में अभिनय करना सही नहीं होगा, लेकिन जब फिल्म ‘मारे करेजवा में तीर’ में काम किया, तो मेरे खयालात बदल गए। भोजपुरी बहुत ही मीठी भाषा है। अब भोजपुरी फिल्मों में अभिनय कर के मुझे काफी मजा आता है।
क्या अब आप भोजपुरी फिल्मों में ही काम करेंगी?
-मैंने ऐसा कभी नहीं कहा, मैंने पहले भी कहा है कि कलाकार के लिए भाषा कोई मायने नहीं रखती। उसके लिए सबसे अहम होता है अच्छा काम करना। अगर आप में टैलेंट है तो आप अपने आप आगे बढ़ते चले जाएंगे। मैं हर भाषा की अच्छी फिल्में करना चाहूंगी।
भोजपुरी फिल्मों में अभिनेत्रियों द्वारा ज्यादा एक्सपोज कराया जाता है। क्या आप भी ऐसा करेंगी?
-जहा तक एक्सपोज यानी अंग प्रदर्शन करने वाली बात है, तो अगर कहानी की मांग होगी और वह एक सीमा में होगा, तो मुझे ऐसा करने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन बेमतलब का एक्सपोज कभी नहीं करूंगी।