संवाददाता.दिल्ली.पिछले एक साल में रेलवे इंटरलॉकिंग सिग्नल सिस्टम फेल होने का कोई मामला सामने नहीं आया है।इसके बावजूद सुरक्षा बढ़ाने के लिए, भारतीय रेलवे अपने सिग्नलिंग सिस्टम को लगातार अपग्रेड कर रहा है। यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने बताया है कि पुराने मैकेनिकल सिग्नलिंग के स्थान पर बिंदुओं और सिग्नलों के केंद्रीकृत संचालन के साथ इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम का प्रावधान किया गया है।साथ ही स्टेशनों पर विद्युत साधनों द्वारा ट्रैक अधिभोग के सत्यापन के लिए सुरक्षा बढ़ाने के लिए स्टेशनों की पूर्ण ट्रैक सर्किटिंग प्रदान की गई है।
एलसी गेट पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए लेवल क्रॉसिंग गेट्स (एलसी) की इंटरलॉकिंग की गई। अगली ट्रेन प्राप्त करने के लिए लाइन क्लियर देने से पहले मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना ट्रेन के पूर्ण आगमन को सुनिश्चित करने और मानव तत्व को कम करने के लिए ब्लॉक अनुभागों की स्वचालित निकासी के लिए ब्लॉक प्रूविंग एक्सल काउंटर (बीपीएसी) प्रदान किए जाते हैं।भारतीय रेलवे ने स्वदेशी रूप से स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली कवच विकसित की है।
यदि लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है तो कवच स्वचालित ब्रेक लगाकर लोको पायलट को निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर ट्रेन चलाने में सहायता करता है और खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है।