संवाददाता.पटना.चिल्ड्रेन हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर” के 31 वर्ष पूरे होने पर डा. पूर्णेंदु ओझा बताया कि विगत 31 वर्षो में सफलतापूर्वक 18000 से ज्यादा शिशुओ का सफल एवं सुरक्षित शल्य चिकित्सा हो चुका है।
बिहार के प्रसिद्ध नवजात एवं शिशु शल्य चिकित्सक डा पूर्णेंदु ओझा ने सन् 1992 में बिहार में प्रथम बार विशिष्ट शिशु शल्य चिकित्सा की शुरुआत निजी अस्पताल में की थी।जिससे बिहार के शिशु रोगियों को सर्जरी के लिए बिहार से बाहर जाने की समस्या का समाधान बहुत हद तक हो गया । इन्हें बिहार में शिशु शल्य चिकित्सा का जनक भी कहा जाता है। शिशु शल्य चिकित्सा का विश्व में डा विलियम इ लाड को जनक माना जाता है।
इस दौरान इन्होंने कई कठिन सर्जरी भी किए हैं। जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। शिशु शल्य चिकित्सा के लिए रोगी पूरे बिहार से नहीं बल्कि झारखंड, नेपाल के दूर दराज क्षेत्रों से भी आते हैं।
उन्होंने रविवार को अपने पत्रकार नगर,डाक्टर कालोनी (पटना) स्थित अस्पताल “चिल्ड्रेन हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर” मे यह जानकारी देते हुए बताया कि नवजात बच्चों में शल्य चिकित्सा की सम्भावना को कम करने के लिए माता-पिता को बच्चे के जन्म के लिए पूरी योजना और तैयारी करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान 3-4 बार अल्ट्रा साउंड वाले चिकित्सक से फीटल एनोमोलिज जाँच कराना चाहिए। तथा गर्भावस्था में स्त्री एव प्रसव रोग विशेषज्ञ से हमेशा सम्पर्क में रहना चाहिए।