संवाददाता.पटना.बिना ठोस तैयारी के आनन-फानन में किए जा रहे जातिगत जनगणना को लेकर अराजकता की स्थिति बनी है।शिक्षा विभाग के मुख्यालय के आदेश के विपरित एक विद्यालय के सभी शिक्षकों को इस काम में लगा दिया गया है। मुख्यालय के आदेश का भी जिला के पदाधिकारियों पर कोई असर नहीं दिख रहा है।
बताते चलें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के आदेश (पत्रांक 06 दिनांक11.01.2023) के अनुसार जातीय जनगणना में एक विद्यालय के सभी शिक्षकों को नहीं लगाना है।आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि जातीय जनगणना के लिए विद्यालय के सभी शिक्षकों को प्रतिनियुक्त नहीं किया जाए। लेकिन जिले के अधिकांश स्कूलों के सभी शिक्षकों को प्रभारी सहित को जनगणना में लगा दिया गया है। कुछ प्रभारी ने उपरोक्त आदेश के आधार पर कम से कम प्रभारी को मुक्त करने का आग्रह जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में किया तो साफ कह दिया गया सभी को करना है। अर्थात मुख्यालय के आदेश का भी जिला के पदाधिकारियों पर कोई असर नहीं।
उधर स्कूल के प्रभारियों का कहना है कि भले ही अभी स्कूलों में शिक्षण कार्य बंद हैं लेकिन स्कूल में अन्य अनेक कार्य हैं जिसका इस बंदी में निष्पादन किया जा सकता है। उदाहरण स्वरुप समग्र विकास से संबंधित कार्य निष्पादित किया जाना है जो मरम्मती वह निर्माण से भी जुड़े हैं। प्रभारियों का कहना है कि जातीय जनगणना के ठीक बाद जब उनसे समग्र विकास के कार्य के बाबत पूछा जाएगा तो वह क्या जवाब देंगे।
जातीय जनगणना को लेकर पहले से अराजक स्थिति बनी हुई है।एक शिक्षक का दो-दो नगर निगम अंचल में नाम, आंगनबाड़ी सेविका को पर्यवेक्षक तो वरिष्ठ शिक्षक को उसके अंदर प्रगणक, किसी किसी अंचल में प्रगणक को दिए गए नियुक्ति पत्र में न वार्ड की जानकारी न कार्य क्षेत्र का जिक्र आदि। परिचय पत्र के नाम पर सादा कार्ड थमा दिया गया नाम भरने के लिए।इस सादे कार्ड के दुरुपयोग की पूरी संभावना है।जबकि जनगणना या मतदाता सूची पर काम करने वाले को अधिकृत तौर पर पहचान पत्र दिया जाता रहा है। और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि इन्हें घर-घर जाना है और कोई भी जागरूक व्यक्ति कुछ बताने से पहले जनगणना कर्मी से पहचान पत्र देखने की इच्छा जाहिर कर सकता है।
इस अराजक स्थिति पर जानकारों का कहना है कि जातीय जनगणना बिना पूरी तैयारी के आनन फानन में सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के मकसद से करवाया जा रहा है।