संवाददाता.पटना. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के कोमा में चले जाने का दावा करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आरोप लगाया है कि बिहार के अस्पताल आज फिर से 90 के दशक वाली स्थिति में चले गये हैं और बिना बेहोश किये हो रहे हैं।
डॉ जायसवाल ने कहा कि हर जगह से मरीजों की देख-रेख में कमी और दवाइयों आदि के न मिलने की खबरें आना तो आम बात हो ही गयी है, लेकिन खगड़िया में बिना बेहोश किए महिलाओं के बंध्याकरण की खबर से मानवता भी शर्मसार हो गयी है. खबरों के मुताबिक खगड़िया के अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महिलाएं दर्द से कराहती रहीं, लेकिन उसके बाबजूद भी डॉक्टर ने बिना बेहोश किए ही उनका ऑपरेशन कर दिया.
उन्होंने कहा कि दो दिन पहले परबता पीएचसी में बंध्याकरण कराने पहुंची महिला को बेहोशी की सुई देने के बाद जमीन पर ही सुला दिया गया था. मरीजों के प्रतिरोध करने पर उन्हें चीर कर छोड़ देने की धमकी भी दी गयी. इससे साफ़ पता चलता है कि खगड़िया के अस्पतालों में भेजा जाने वाला एनेस्थेसिया बीच रास्ते से ही गायब हो जा रहा है. जब एनेस्थेसिया जैसी जरूरी दवा की उपलब्धता की यह स्थिति है तो बाकि दवाइयों की उपलब्धता की हालत स्वत: समझी जा सकती है.
तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता बदलते ही संस्थानों का रवैया कैसे बदल जाता है, बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. स्वास्थ्य मंत्री भले ही रॉबिन हुड बनने के चक्कर में दर्जनों कैमरों के साथ अस्पतालों में घूम कर अपना प्रचार करते दिखते हो, लेकिन हकीकत यही है कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली में लगातार गिरावट आ रही है. कहीं मरीजों और उनके परिजनों के साथ मार-पीट की खबरें आती हैं तो कहीं एंबुलेंस के अभाव में मरीजों और लाशों को कंधों या ठेलों पर ढ़ोने की तस्वीरें दिखायी देती हैं. खगड़िया की घटना से यह साफ़ हो गया है कि स्वास्थ्य विभाग को अब खुद इलाज की जरूरत है. हमारी सरकार से मांग है कि इस घटना की गहन जांच करायी जाए और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाए.