जाने…कब और क्यों जदयू का होगा राजद में विलय ?

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JDU-RJD

प्रमोद दत्त.
पटना. भाजपा से नाता तोड़कर राजद (महागठबंधन) के साथ जाने के बाद नीतीश कुमार अब शांत नहीं बैठने वाले हैं।भाजपा और नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने के लिए कई ऐसे निर्णय भी लिए जा सकते हैं जो बिहार का राजनीतिक समीकरण स्थाई तौर पर बदल दे। इस क्रम में लोकसभा चुनाव के पहले जदयू का राजद में विलय की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
नीतीश कुमार के पालाबदल की राजनीति को प्रधानमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है।एनडीए छोड़ने का कारण बताते हुए जदयू ने भाजपा पर जदयू को तोड़ने के प्रयास का आरोप लगाया।इसलिए जदयू ने भाजपा को पहले ही झटका दे दिया।
प्रेक्षकों का मानना है कि नीतीश कुमार का महागठबंधन में शामिल होने से बिहार में महागठबंधन का जनाधार बढेगा। इससे भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में कड़ी चुनौती मिल सकती है।अगर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की गोलबंदी हुई और नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मान लिया गया तो लोकसभा चुनाव में राजद-जदयू दोनों दल के कार्यकर्ता दोगुने जोश में सक्रिय रहेंगें।जदयू कार्यकर्ताओं के सामने उनके नेता नीतीश कुमार भावी प्रधानमंत्री के रूप में नजर आऐंगें तो राजद कार्यकर्ता तेजस्वी यादव के लिए मुख्यमंत्री पद का रास्ता साफ होते देखेगें।2025 विधानसभा चुनाव के पहले 2024 में ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का जोश होगा।
सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार, विधानसभा स्पीकर का चुनाव और सदन में विश्वासमत हासिल करने के बाद नीतीश कुमार देशभर का दौरा शुरू करेंगें।इसकी जोर-शोर से तैयारी चल रही है।विभिन्न राज्यों में घूम कर नीतीश कुमार विपक्षी दलों को नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगें।अगर इस मुहिम में नीतीश कुमार सफल हुए और राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के खिलाफ मजबूत मोर्चा आकार ले लिया तो विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार भी बन सकते हैं।
इसी क्रम में 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 40 सीटों पर जीत की तैयारी के साथ उतरेगा महागठबंधन।तभी प्रधानमंत्री पद पर नीतीश कुमार की दावेदारी भी मजबूत होगी।महागठबंधन में शामिल सात दलों के बीच सीटों के तालमेल का पेंच फंसेगा।जनाधार के बलबूते राजद सबसे अधिक सीटों की दावेदारी करेगा तो 16 सीटों पर कब्जा वाले जदयू भी इससे कम पर समझौता को राजी नहीं होगा।एक सांसद वाले कांग्रेस के साथ साथ भाकपा(माले),भाकपा,हम भी अपनी दावेदारी करेंगें।प्रेक्षकों का मानना है कि ऐसी विकट परिस्थिति बनी तो जदयू का राजद में विलय करते हुए नीतीश कुमार देश भर में बिखरे मूल जनता दल को पुन: अस्तित्व में लाने का प्रयास करेंगें।राष्ट्रीय स्तर पर यह संभव नहीं भी हुआ तो बिहार में इसकी पहल कर सीटों के तालमेल में राजद-जदयू के बीच विवाद या इगो क्लैश से नए महागठबंधन को बचा लेगें।जदयू-राजद एक हो जाएगा तब 30 से अधिक सीटों का दावा भी मजबूत हो जाएगा और कांग्रेस व वाम दलों को भी संतुष्ट करना मुश्किल नहीं होगा।

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