प्रमोद दत्त.
पटना.आजादी के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव मनाए जाने के क्रम में प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह को याद किया गया।उनकी जयंती एवं विजयोत्सव के रूप में वीर कुंवर सिंह को लगभग सभी राजनीतिक दलों ने श्रद्धांजंलि दी।लेकिन भाजपा का बड़ा आयोजन उनके पैतृक गांव आरा के जगदीशपुर में भव्य विजयोत्सव के रूप में हुआ।एक साथ 78 हजार से अधिक तिरंगा लहरा कर विश्व रिकार्ड बनाया गया।इससे गैरभाजपाई नेताओं की बेचैनी बढ गई है।
हालांकि बाबू कुंवर सिंह जैसे देश के वीर सपूत को एक जाति में नहीं बांधा जा सकता है।लेकिन इस आयोजन को जातीय व राजनीतिक चश्मे से भी देखा गया।राजद के प्रदेश अध्यक्ष व राजपूत नेता जगतानंद सिंह की प्रतिक्रिया को इसी रूप में देखा गया।राजद कार्यालय में कुंवर सिंह जयंती कार्यक्रम में उन्होंने कहा- अंग्रेजों से माफी मांगने वाले कुंवर सिंह की जयंती मना रहे हैं।आज सावरकर के पदचिन्हों पर चलनेवाले,अंग्रेजों से माफी मांगने वाले वीर कुंवर सिंह की जयंती को राजनीतिक इवेंट बनाकर स्वंय का बखान कर रहे हैं।
राजद में समझदार नेता मानेजाने वाले जगतानंद सिंह को राजद राजपूत चेहरा के रूप में प्रस्तुत करता रहा है। पहले इसी श्रेणी में पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह भी आते थे।उनके गुजर जाने के बाद राजद में इकलौते राजपूत के बड़े नेता जगतानंद सिंह ही हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि आजादी के अमृत महोत्सव में भाजपा ने स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह की जयंती को भव्य बनाकर गैरभाजपा नेताओं को बेचैन कर दिया है।यह सही है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से भाजपा ने राजपूत वोटरों के बीच एक विशेष जगह बना ली है जो भविष्य में चुनावी लाभ दे सकता है।ऐसी स्थिति में गैरभाजपा खासकर राजपूत वोट के ठीकेदारों में बेचैनी होना स्वाभाविक है।
एनडीए के साथी जदयू की बेचैनी भी सामने आई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजकीय जयंती समारोह में जोर देकर कहना पड़ा कि बाबू कुंवर सिंह सभी तबकों को जोड़कर चलते थे।इसे लोगों को याद रखना चाहिए।उन्होंने कुंवर सिंह के नाम पर किए गए एक-एक काम को गिनाया।एक दूसरे समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुंवर सिंह विजयोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की बात कहकर भाजपा के सामने लंबी लकीर खिंचने की भी कोशिश की।