संवाददाता.पटना. स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) पर नियंत्रण के लिए पूरी तरह से अलर्ट है। इसकी रोकथाम को लेकर प्राथमिक उपचार पर विशेष बल दिया जा रहा है। इसे लेकर चिकित्सकों को भी जरूरी दिशा-निर्देश दिया जा चुका है। अस्पतालों मे भी बीमारी पर नजर रखी जा रही है। एईएस के प्राथमिक उपचार हेतु आशा कार्यकर्ताओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को अनिवार्य दवाएं बांटी जा रही है, जो एईएस प्रभावित 12 जिलों में जरूरत के हिसाब से वितरण करेंगी, ताकि एईएस से सुरक्षात्मक निवारण हो सके।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि एईएस के प्रभाव को देखते हुए प्राथमिक स्तर पर कार्य को प्रभावी बनाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी लगाया गया है। इन जिलों में 48 हजार 218 आंगनबाड़ी सेविकाओं को इस कार्य में लगाया गया है, जिनको चार लाख 82 हजार 180 ओआरएस पाउच व 48 हजार 218 पैरासिटामोल सिरप का बोतल प्रदान किया गया है। सभी दवाएं प्राथमिक उपचार के तौर पर बीमारी से लड़ने में कारगर हैं। जिलों में इन दवाओं की आपूर्ति कर दी गयी है। इस कार्य में 37 हजार 871 आशा कार्यकर्ता को लगाया गया है। बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरत पड़ने पर और भी दवाओं को भेजा जा सकता है।
श्री पांडेय ने कहा कि एईएस की रोकथाम एवं शीघ्र प्राथमिक उपचार की व्यवस्था को अत्यधिक प्रभावी बनाने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया है। आशा कार्यकर्ताओं के अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी दवा के वितरण में लगाया गया है। जिन जिलों में दवा बांटी जाएंगी उनमें पटना, गोपालगंज, सारण, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण,मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली शामिल हैं।