संवाददाता.पटना. प्राचीन कला केन्द्र की डिग्री को अमान्य करार देने को सर्वथा अनुचित बताते हुए भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ ने इसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना बताया है ।
‘प्राचीन कला केन्द्र के प्रमाणपत्र अमान्य’ से संबंधित खबर पर संज्ञान लेते हुए भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ की एक बैठक प्रदेश संयोजक बरूण कुमार सिंह की अध्यक्षता में सह संयोजक, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की कला मंत्री, सम्मानित नित्यांगना, जानी-मानी कला नेत्री डा0 पल्लवी विश्वास एवं प्रकोष्ठ के मुख्यालय प्रभारी आनंद पाठक सहित प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारियों के साथ की गयी ।
बैठक में तय किया गया कि प्राचीन कला केन्द्र द्वारा प्रदत्त प्रमाणपत्र वैद्यता पर सवाल उठाना सर्वप्रथम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना है । समय-समय पर इस तरह का भ्रामक बयान देकर अपने राज्य के शिक्षा विभाग या किसी नियोजन इकाई के पदाधिकारी क्या साबित करना चाहते हैं यह समझ से परे हैं । हर वर्ष किसी न किसी समाचार पत्र में एक बार इस तरह के भ्रामक खबर प्रकाशित करने, कराने का रिवाज-सा बन गया है ? यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है । पदाधिकारियों को ऐसे अनर्गल बयान देने से बचना चाहिए । इससे छात्र-छात्रा व अभिभावक भ्रमित होते हैं ।
जहां एक ओर बिहार जैसे बड़े राज्य में आज तक कोई अपना संगीत या कला विश्वविद्यालय तो क्या कोई मानद विश्वविद्यालय भी नहीं है वैसे में दूसरे राज्यों के ही भरोसे अपने राज्य के संगीत-कला के प्रशिक्षु डिग्रियॉं हासिल करते रहे हैं । जिनका इस्तेमाल बिहार अपने यहां शिक्षक और प्राध्यापक के रूप में करता आ रहा है । ऐसे में यह अत्यनत निंदनीय है कि कोई अधिकारी छोटी-मोटी बातों की जानकारी न रखते हुए, कुछ नया जानने की इच्छा भी नहीं रखते हैं, इसलिए संबंधित मामले में किसी से जानकारी मांगते भी नहीं हैं ।
भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रमाणपत्र से संबंधित मामले से जुड़ी खबर प्रेषित या प्रकाशित करने से पहले संबंधित संस्थान से जानकारी मांग लेने से न पदाधिकारी छोटे हो जायेंगे और न ही अखबार का सम्मान कम हो जायेगा । ज्ञातव्य हो कि अधिकारियों को पता नहीं है किः-
1. प्राचीन कला केन्द्र देश के प्रतिष्ठित मानक शिक्षण संस्थानों में से एक और भारतीय कला संस्कृति के पोषण संरक्षण एवं संवर्धन हेतु समर्पित संस्थान है ।
2. अंजू कुमारी बनाम बिहार सरकार के मामले में फैसला सुनाते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्राचीन कला केन्द्र के संगीत विशारद की उपाधि को स्नातक एवं संगीत भास्कर को स्नातकोत्तर के समकक्ष माना है ।
3. यूजीसी ने कभी अपने किसी पत्र में प्राचीन कला केन्द्र के प्रमाणपत्र को नियुक्तियों एवं पदोन्नति के मामले में अमान्य करार नहीं दिया है ।
4. बकायदा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी विभिन्न दैनिक पत्रों में इस आशय की विज्ञप्ति प्रकाशित करवायी है ।
5. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित दर्जन भर से अधिक विष्वविद्यालय व बिहार सरकार सहित कई राज्य सरकारों ने प्राचीन कला केन्द्र के प्रमाणपत्र को मान्यता दे रखी है ।
भाजपा नेताओं के अनुसार आज तक हजारों लोग संगीत शिक्षक और प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे हैं। आज भी योगदान कर रहे हैं । इसलिए किसी तरह का भ्रम पालने या संसय में पड़ने की जरूरत नहीं है । न ही संगीत कला क्षेत्र में कैरियर बनाने वालों का मार्ग अवरूद्ध करने का कोई औचित्य है ।