प्रमोद दत्त.
पटना.मुजफ्फरपुर केयरहोम में लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण मामले में सीबीआई जांच,दोषी को सजा व ऐसे केयर होम संचालित करने वाले एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई तो हो गई लेकिन सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित केयर होम की स्थिति में कोई सुधार नहीं है।वर्षों से पटना सिटी स्थित रिमांड होम (उत्तर रक्षा गृह) में रहने वाली लड़कियों व महिलाओं का यौन शोषण जारी है।इस रिमांड होम से तीन माह पहले निकली युवती ने जब यहां होने वाले यौन शोषण की कहानी बताई तो एक बार फिर यह रिमांड होम सुर्खियों में आ गया है।
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका दायर कर लिया है और इस पर सुनवाई जारी है।हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद समाज कल्याण विभाग भी सक्रिय हुआ है।दूसरी ओर महिला विकास मंच,महिला आयोग,अन्य महिला संगठन ओर राजनितिक दलों की भी सक्रियता बढी है।इसी बीच एक अन्य पीड़िता ने 8 फरवरी को महिला थाने में शिकायत दर्ज करते हुए रिमांड होम की अधीक्षक पर आरोप लगाया कि वहां लड़कियों को नशे की दवा देती थी।बाहर के लड़कों को बुलाती थी।उसे एक दलाल को सौंप दिया गया था।
पटना सिटी(गाय घाट) स्थित यह रिमांड होम यौन शोषण को लेकर वर्षों से चर्चा में रहा है।चाहे बिहार में कांग्रेस की सरकार रही हो या बाद में लालू-राबड़ी की या वर्तमान में नीतीश सरकार- इस केयर(रिमांड)होम का केयर किसी सरकार ने नहीं किया।सरकारें बदलती रही,अधिकारी बदलते रहे लेकिन केयर होम में रहनेवाली लड़कियों-महिलाओं का भाग्य नहीं बदला।
वर्ष 1986 में राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ”भू भारती “ में इस केयर होम में होने वाले यौन शोषण की विस्तृत रिपोर्ट छपी थी।इसके बाद 1987 में राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाएं रविवार,मनोहर कहानियां, शिखर वार्ता,महान एशिया,युवक धारा आदि में इससे संबंधित रिपोर्ट छपी।1987-88 के दौरान स्थानीय समाचार पत्रों में नवभारत टाइम्स,आज, आर्यावर्त,रांची एक्सप्रेस, जनशक्ति आदि में लगातार छोटी-बड़ी खबरें छपती रही।25 मई 1996 को स्थानीय हिन्दुस्तान में पूरे एक पृष्ठ में यहां की बदहाली पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
आज पटना हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर सुनवाई शुरू की है।इससे पूर्व 1986-87 में जब यह रिमांड होम यौन शोषण व उत्पीड़न को लेकर सुर्खियों में आया था तब फरवरी’88 में इस रिमांड होम में रहनेवाली नीतू कुमारी व सामाजिक कार्यकर्ता विष्णुशंकर सहाय द्वारा पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।याचिका में सीबीआई से जांच की मांग करते हुए यौन शोषण का आरोप कई बड़े लोगों पर लगाए गए थे।1988-89 की सीबीआई जांच के बाद 1990 में पटना हाईकोर्ट द्वारा एक कमिटी का गठन किया गया जिसमें हाईकोर्ट के अधिवक्ता अशोक प्रियदर्शी एवं विमेंस कॉलेज की सिस्टर कैरोल को चेयरमैन बनाया गया था।
सवाल यह उठना स्वाभाविक है कि सरकार,हाईकोर्ट,सीबीआई- हर तरह की प्रमुख संस्थाओं की नजर में आने के बावजूद रिमांड होम की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो पा रहा है।35 वर्षों से यौन शोषण का केन्द्र क्यों बना हुआ है।सड़क पर छेड़खानी कानून व्यवस्था का मुद्दा बन सकता है। लेकिन सैंकड़ों की संख्या में एक केन्द्र में रहनेवाली लड़कियों-महिलाओं की सुरक्षा व संरक्षण का मामला हमेशा उपेक्षित रहा है।