इशान दत्त. पवनपुत्र हनुमान जी से एक बहुत पुराणी मान्यता जुडी हुई हैं की महिलाओं को उनकी पूजा नहीं करनी चाहिए, जिसको लेकर नारीवादी इस रोक पर अक्सर सवाल उठाया करती हैं। पर इस रोक के पीछे बहुत ही सभ्य कारण हैं। ऐसा नहीं हैं की महिलाएं एकदम से उनकी पूजा नहीं कर सकती। बस कुछ नियम निर्धारित की गयी हैं जिनका पालन महिलाओं द्वारा पालन किया जाना अनिवार्य बताया गया हैं।
श्री राम भक्त हनुमान जी अक्सर अपने भक्तो को संकट से बचते हैं ,इसी वजह से इन्हें संकट मोचन हनुमान भी कहाँ जाता हैं। हनुमान जी के भक्त बड़े ही श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते और आशीवार्द लेते हैं। ऐसा देखा गया हैं की देश में लगभग सभी बच्चो को यह सिखाया जाता की डर लगे तोह हनुमान चालीसा पढ़ना, हनुमान जी तुम्हारी रक्षा करेंगे। युवाओं के बिच हनुमान जी की प्रति गहरी आस्था हैंऔर सभी बड़े ही प्रेम के साथ उनकी पूजा करते हैं। उनकी पूजा करने में किसी तरह का पाबंदी नहीं कोई भी उनकी पूजा कर सकता हैं, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो। मगर फिर भी महिलाओं पर उनके पूजा करने को लेकर कुछ रोक ज़रूर हैं।
यह तो हर कोई जानता है कि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं। वह महिलाओं को माता जैसा मानते हैं। और यह किसी भी पुत्र को नहीं पसंद होगा कि उनकी माता उनके चरणों में झुके। साथ ही साथ यह भी मान्यता हैं कि महिलाएं लंबे अनुष्ठान नहीं कर सकती। इसके पीछे उनका राजस्वला होना और घरेलू उत्तरदाय़ित्व निभाना मुख्य कारण है।राजस्वला के दौरान महिलाओं को हनुमान जी से सम्बंधित किसी भी काम को करने की मनाही हैं।
साथ ही साथ नियमो में यह भी कहा गया हैं की महिलाओं को हनुमान जी को सिन्दूर नहीं अर्पित करना चाहिए। उनको चोला नहीं चढ़ाना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।पंचामृत स्नान नहीं करा सकती। जनेऊ अर्पित नहीं कर सकती।
इतने सारे नियम का यह मतलब नहीं कि महिलाएं हनुमान जी की पूजा नहीं कर सकती। हनुमान जी की आराधना से जुडी कई ऐसे काम हैं जिन्हें महिलाएं भी कर सकती हैं जैसे कि महिलाएं हनुमान जी को दीप अर्पित कर सकती हैं। वह हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ भी कर सकती हैं। इसके साथ ही महिलाएं हनुमान जी का भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अर्पित कर सकती है। इसमें किसी भी तरह का दोष नहीं बताया गया हैं।