संवाददाता.पटना. बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य लाभ के लिए दस्त नियंत्रण पखवारा के तहत इस वर्ष सभी जिलों में एक करोड़ 62 लाख 61 हजार 969 बच्चों के बीच ओआरएस बांटा गया। राज्य में पांच साल तक के बच्चों की संख्या करीब एक करोड़ 76 हजार 49 हजार 638 है। इस साल 92.13 फीसदी बच्चों को ओआरएस बांटने के लक्ष्य की प्राप्ति की गयी। राज्य के सभी 38 जिलों में इस साल सघन दस्त नियंत्रण पखवारा कार्यक्रम चला।
यह जानकारी देते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि इस दौरान बच्चों के अभिभावकों को प्राथमिकता के साथ ओआरएस व जिंक के उपयोग की सार्थकता बतायी गई। स्वास्थ्य विभाग बच्चों को उचित और बेहतर स्वास्थ्य लाभ देने के प्रति सचेत है। विशेषकर दस्त जैसी बीमारियों के प्रति जन-जागरूकता लाने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। उसी के परिणामस्वरुप इस साल भी दस्त नियंत्रण पखवारा पूरे प्रदेश में अभियान के साथ चला।
उन्होंने बताया कि इस अभियान को कुशल नेतृत्व में संचालित कर ज्यादा से ज्यादा बच्चों के अभिभावकों को जागरुक किया गया। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य था कि पांच 5 साल तक के छोटे बच्चों के अभिभावकों को इस बीमारी से नियंत्रण को लेकर जागरूक करें।बच्चों के अभिभावक को यह बताया गया कि किस प्रकार ओआरएस तैयार किया जाए और दस्त होने पर कैसे उसका सेवन किया जाए। इससे दस्त होने पर त्वरित उपचार संभव हो पाएगा।
श्री पांडेय ने बताया कि इस वर्ष 18 हजार 966 बच्चों में दस्त की बीमारी पायी गई। जिसमें 18 हजार 964 बीमार बच्चों को ओआरएस बांटा गया। 18 हजार 782 बीमार बच्चों को 14 दिनों के लिए जिंक टैबलेट बांटा गया। जिन बच्चों में गंभीर डायरिया के लक्ष्ण पाए गये। उनकी संख्या 323 रही, जिसे सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आशा कार्यकर्ताओं ने भेजा। इसी कड़ी में उन्हें इस बीमारी से बचाव की प्रमुख जानकारियां साझा की गयी, किस प्रकार हम स्वच्छता को अपनाएं, हाथ को समय-समय पर धोयें, शौचालय जाने के बाद भी हाथ धोयें, कच्चे फल व सब्जियों को धोकर खाएं। राज्य भर में 89 हजार आशा कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर इसके लक्षण व उपाय से बच्चों के अभिभावकों को अवगत कराया।