जनसंख्या वृद्धि का संबंध धर्म से नहीं,नियंत्रण में सही उम्र में शादी ज्यादा प्रभावी

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संवाददाता.पटना. जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए चुनौती बना हुआ है। बिहार के वर्तमान प्रजनन दर 2.7 को 2025 तक 2.1 और  2031 तक मात्र 2.0 पर लाने का लक्ष्य है। जनसंख्या वृद्धि का सम्बंध किसी धर्म से नहीं है। लड़कियों में शिक्षा का प्रसार व प्रोत्साहन के जरिये ही जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।यह मानना है पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी का।

उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास व उपलब्ध संसाधनों पर जनसंख्या वृद्धि का सीधा दुष्प्रभाव पड़ रहा है। देश की जनसंख्या वृद्धि दर जहां 17.7 फीसदी है वहीं बिहार में यह वृद्धि दर 25.4 फीसदी है। राज्य सरकार के सतत प्रयास से 1991- 2001 के बीच जो वृद्धि दर 28.6 फीसदी थी उसमें पिछले 20 वर्षों में 3.2 फीसदी की गिरावट आई है।

लड़कियों की शिक्षा को और ज्यादा बढ़ावा,सही उम्र में शादी,शादी के कम से कम दो साल बाद पहला बच्चा और पहले तथा दूसरे बच्चे के बीच 3 साल के अंतराल के प्रति जागरूकता व परिवार नियोजन के स्थायी/अस्थाई साधनों पर जोर देकर ही प्रजनन दर को कम करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

बिहार में मैट्रिक, इंटर और ग्रेजुएट लड़कियों की प्रजनन दर में आई गिरावट से स्पष्ट है कि जनसंख्या नियंत्रण में शिक्षा सबसे कारगर हथियार है। बाल विवाह निषेध अभियान, साइकिल व पोशाक योजना जैसी सरकार की प्रोत्साहन नीति का भी खासा असर देखा गया है।

 

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