संवाददाता.पटना. भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों के दम पर दिल्ली सीमा पर चल रहा तथाकथित किसान आंदोलन साजिशों का अड्डा बन चुका है. मोदी विरोध में यहां देश विरोधी नारे चल ही रहे थे लेकिन अब यहां रेप और हत्या की साजिशों के खुलासे भी होने लगे हैं. धरनास्थल पर बाहर से आई एक महिला के यौन शोषण की खबरों से लोग उबरे भी नहीं थे कि अब एक व्यक्ति को पेट्रोल डालकर जिंदा जला देने की बात सामने आ रही है. कृषि कानून के खिलाफ शहीद बताने के लिए इस किसान को सिर्फ जलाया ही नहीं गया बल्कि उसके खिलाफ जातीय टिप्पणी भी की गई. इससे साफ़ पता चलता है कि इस आन्दोलन को आम जनता से कोई मतलब नहीं है. इसे सिर्फ मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए खड़ा किया गया है.
श्री रंजन ने कहा कि यह किसी से छिपा नहीं है कि दिल्ली में किसानों के नाम पर चल रहा आन्दोलन पूरी तरह कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा प्रायोजित है. भारत में कांग्रेस के शीर्ष नेता जहां इस आंदोलन से अलग दिखने का दिखावा कर रहे हैं वहीं इंडियन ओवरसीज कांग्रेस की जर्मनी इकाई ने आंदोलनकारियों को एक करोड़ रु की मदद देने का ऐलान किया था. इस आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है?
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन का दुर्भाग्यपूर्ण पहलु यह है कि इसमें खुलेआम खालिस्तान समर्थक नारे लग रहे हैं और भिंडरावाले के पोस्टर-बैनर लहरा रहे हैं. एक झूठी बात पर उपद्रव कर रहे इन तथाकथित किसानों के ऐसे वीडियो भी वायरल हो चुके हैं जिसमें उन्होंने खुलेआम कहा था कि जब इंदिरा ठोक दी तो मोदी की छाती भी ठोक देंगे. इससे साफ़ है कि सत्ता की चाह में कांग्रेस अब इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले खालिस्तान समर्थकों का साथ लेने से भी गुरेज नहीं है. याद रहे कि यह वही खालिस्तानी और भिंडरावाला है जिसे कभी इंदिरा गाँधी ने शह देने की गलती की थी और बाद में उनके साथ-साथ पूरे देश को उसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. कांग्रेस को बताना चाहिए कि वह फिर से उसी गलती को क्यों दोहराना चाहती है? वह बताए कि आखिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी है कि उन्हें इस तरह के अलगाववादियों और लोकतंत्र में विश्वास न करने वाले अराजक तत्वों का समर्थन लेना पड़ रहा है?”
श्री रंजन ने कहा कि अपने युवराज की नाकामी छिपाने के लिए कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे इस आंदोलन में वही चेहरे शामिल हैं, जो दिल्ली दंगों के समय चले धरना-प्रदर्शन में सक्रिय थे. सीएए प्रदर्शनों में सक्रिय नजीर मोहम्मद और वृद्ध माहिलायें इस बार किसान बनने की नौटंकी कर इस आंदोलन में पंजाब से आये लोगों का किरदार निभा रहे हैं. उस समय के नारों की ही तरह इस बार भी ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे नारे इस आन्दोलन में लग चुके हैं. जो एनजीओ उस समय खाने का प्रबंध कर रहे थे, वह इस बार भी सक्रिय हैं. वास्तव में दिल्ली दंगो के समय जो गैंग देश में आग लगाने में जुटा हुआ था, उनका इस आन्दोलन में दिखना फिर से किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है.