संवाददाता.पटना. पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री और भाजपा सांसद राम कृपाल यादव ने कहा कि नीति आयोग 2018 से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के मोर्चे पर राज्य सरकारों के प्रदर्शन की रैंकिंग जारी कर रही है। 2018 में केवल बिहार, उतरप्रदेश और आसाम आकांक्षी राज्य में शामिल थे। बाकी राज्य या तो परर्फामर श्रेणी में थे या फ्रंट रनर के श्रेणी में थे। 2019-20 और 2020-21 से बिहार आकांक्षी राज्य के श्रेणी से छलांग लगाकर परर्फामर की श्रेणी में शामिल है।
प्रतिपक्ष के लोग नीति आयोग की रिपोर्ट पर नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं। अपनी राजनीति के चक्कर में बिहार की छवि देश में खराब कर रहे हैं। सरकार किसी का रहे लेकिन राजनीति में बिहार की छवि सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बिहार बिमारू और अविकसित राज्ये की श्रेणी से बाहर आ रहा है।2018 में जहां बिहार नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स में 48 अंक पर था वही 2021 में 4 अंक बढ कर 52 पर पहुंचा और परर्फामर राज्य की श्रेणी में आ गया। यानि बिहार नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ के मानक पर तेजी से अग्रसर होने वाला राज्य बन गया है। क्या बिहार की यह उपलब्धि नहीं है। क्या बिहारियों को इस गर्व नहीं करना चाहिए।
गौरतलब हो कि नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र संघ की भारतीय शाखा के साथ मिलकर 2018 में सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स की शुरुआत की थी। 2030 तक पूरे विश्व को सतर विकास लक्ष्य को हासिल करने का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ ने दिया है।इस रैंकिंग में 0 – 49 अंक लाने पर आकांक्षी , 50 – 64 अंक लाने पर परर्फामर , 65 – 99 अंक लाने वाले राज्यों को फ्रंट रनर और 100 अंक लाने वाले राज्यों को सफल राज्यों की कैटेगरी में रखा जाता है।