नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैक्सीनेशन को लेकर बड़ी घोषणा की. उन्होंने सभी राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें इसके लिए कुछ खर्च नहीं करना होगा. वहीं गरीब कल्याण योजना के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज योजना को दीपावली तक बढ़ाने का ऐलान भी किया.उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को भारत सरकार मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी.
सोमवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विजेता आपदा आने पर उससे परेशान होकर हार नहीं मानते हैं बल्कि उद्यम करते हैं, परिश्रम करते हैं और उसपर जीत हासिल करते हैं. कोरोना से लड़ाई में देशवासी आपसी सहयोग और दिन रात मेहनत करके तय की है. आने वाले रास्ता भी सहयोग से मजबूत होगा. हम वैक्सीन प्राप्त करने की गति बढ़ाएंगे और वैक्सीनेशन अभियान को और गति देंगे. भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार आज भी दुनिया में बहुत तेज है. अनेक विकसित देशों से तेज हैं. कोविन प्लेटफॉर्म की दुनिया में चर्चा हो रही है.75 फीसदी वैक्सीन कंपनियों से खरीदकर राज्यों को केंद्र सरकार मुहैया कराएगी. देश के सभी राज्यों को केंद्र मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी.
मोदी ने कहा कि कोरोना की दूसरी वेव और इससे हमारी लड़ाई जारी है. दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा है. हममें से कई लोगों ने अपने परिजनों और परिचितों को खोया है. ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी पूरी संवेदनाएं हैं. बीते 100 साल में आई ये सबसे बड़ी महामारी है, त्रासदी है. इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और न अनुभव की थी.
पीएम ने कहा कि इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है. कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाना, वेंटिलेटर बनाने से लेकर टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना हो. बीते सवा साल में ही देश में एक नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है. दूसरी लहर के मिस-मैनेजमेंट और केंद्र की भूमिका पर सवाल उठने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों की मांग पर ही उन्हें कोरोना नियंत्रण और वैक्सीनेशन के अधिकार दिए गए
श्री मोदी ने कहा कि अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई. भारत में कभी भी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई. इस जरूरत को पूरा करने केलिए युद्ध स्तर पर काम किया गया. सरकार के सभी तंत्र लगे. ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया. लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई. दुनिया के हर कोने से जो उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया. जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया. विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध हों, वहां से उन्हें लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई. कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है.
अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है. पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गिनी-चुनी हैं. अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता. पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे. वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था. पोलियो, स्मॉल पॉक्स, हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन के लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था.
उन्होंने कहा- हमने 5-7 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक पहुंचा दिया. हमने वैक्सीनेशन की स्पीड और दायरा दोनों बढ़ा दिया. बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को अभियान का हिस्सा बनाया. हमें हमारे देश के बच्चों की चिंता थी, गरीब की चिंता थी, गरीब के बच्चों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नहीं पाया. हम सही तरह से आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना वायरस ने हमें घेर लिया. देश ही नहीं दुनिया के सामने फिर पुरानी आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा. जब नीयत साफ होती है और नीति स्पष्ट होती है और निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं. हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी.
पीएम ने कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है. आज जब बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है. हमारे यहां कहा जाता है कि विश्वासेन सिद्धि यानी हमारे प्रयासों से सफलता तब मिलती है जब हमें स्वयं पर विश्वास होता है. हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही कम समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे. इसी विश्वास के चलते जब हमारे वैज्ञानिक अपना रिसर्च वर्क कर रहे थे, तभी हमने तैयारियां कर ली थीं.
उन्होंने कहा कि पिछले साल अप्रैल में जब कोरोना के कुछ हजार केस थे, तभी हमने वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था. भारत के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरह से सपोर्ट किया. वैक्सीन निर्माताओं को क्लीनिकल ट्रायल में मदद की गई. रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए जरूरी फंड दिया गया. हर स्तर पर सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली. आत्मनिर्भर पैकेज के तहत मिशन कोविड सुरक्षा के जरिए हजारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए. पिछले कई समय से देश जो लगातार प्रयास कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई बढऩे वाली है.