क्यों गति नहीं पकड़ रही है 18+ के वैक्सीनेशन की रफ्तार ?

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संवाददाता.पटना.18+ के लोगों के वैक्सीनेशन की रफ्तार गति नहीं पकड़ रही है.हर सेंटर पर 500 के लक्ष्य को 1000 करने की योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है।पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन व वेरिफिकेशन सही से नहीं होने के कारण वैक्सीनेशन की रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है।

पटना के डीएम  डॉ. चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि 18+ के वैक्सीनेशन को लेकर 10 मॉडल सेंटर बनाए गए हैं। मौजूदा समय में एक सेंटर पर 500 का लक्ष्य है लेकिन इसे 2 दिनों 1000 तक पहुंचाना है। 10 सेंटर पर 10 हजार के लक्ष्य पर वैक्सीनेशन किया जाएगा। डीएम  ने खुद कई सेंटरों का निरीक्षण किया और लोगों का फीडबैक भी लिया। जो भी समस्या आ रही है उसे दूर करने के लिए प्लान तैयार किया गया है। ऑपरेटरों की समस्या भी दूर की जाएगी। हर सेंटर पर अधिक से अधिक ऑपरेटरों की तैनाती कर लक्ष्य को पूरा किया जाएगा। पटना विमेंस कॉलेज में डीएम  के पहुंचने के बाद ऑपरेटरों की समस्या सामने आई, इसके लिए उन्होंने व्यवस्था को बेहतर करने व समय से कर्मचारियों को रिपोर्ट करने को कहा है। डीएम  का कहना है कि बहुत जल्द 1000 प्रति सेंटर वैक्सीन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

बताते चलें कि जिलाधिकारी के निर्देश पर पटना जिलांतर्गत टीकाकरण के सुचारू एवं सुव्यवस्थित संचालन हेतु 18+ आयु वर्ग के लोगों के लिए 56 केंद्र तथा 10 विशेष टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं तथा हेल्थ केयर वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर एवं 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए 119 सेशन साइट संचालित है। निबंधन के उपरांत निर्धारित स्लॉट के अनुसार व्यक्ति केंद्र पर जाकर टीकाकरण करा रहे हैं।

पटना के 10 मॉडल सेंटर पर 10,000 वैक्सीनेशन का दम नहीं दिख रहा है। टारगेट 18+ के 10 हजार वैक्सीनेशन का है, लेकिन टाइमिंग और स्लॉट सब फेल हो जा रहा है। कर्मचारियों की कमी और पोर्टल की सुस्ती मैनेजमेंट पर भारी पड़ रही है। व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए हर तैयारी की जा रही है, इसके बाद भी वैक्सीनेशन में 18+ का पूरा दिन चला जा रहा है। हर सेंटर पर 500 के टारगेट को एक हजार करने की तैयारी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। वैक्सीनेटरों की टेबल तो खाली रह रही है लेकिन कंप्यूटर वाली सीट से गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाती है। वैक्सीन लेने में 4 से 5 घंटे का समय बर्बाद हो रहा है। युवाओं का कहना है कि जब स्लॉट तय किया गया है और उस हिसाब से लोगों को सेंटर पर आने को बोला जा रहा है तो फिर उस समय पर वैक्सीन नहीं देने का मतलब सिस्टम फेल है।

पोर्टल को लेकर भी बहुत बाधा है। एक बाधा रजिस्ट्रेशन की है और दूसरी वेरिफिकेशन की है। सेंटर पर जाने के बाद पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर पर जांच पड़ताल करानी पड़ती है। फिर वेरिफिकेशन में लंबा समय लग जा रहा है। पोर्टल में रजिस्ट्रेशन में काफी समस्या आ रही है। दोहरा काम करना पड़ रहा है। एक बार रजिस्ट्रेशन करना पड़ रहा है और दोबारा फिर से सेशन साइट और समय का शेड्यूल करना पड़ रहा है। इसके लिए साइट रात में खुलती है, रात में लोगों को इस प्रक्रिया को पूरा करना पड़ता है।रेलवे की तत्काल टिकट के समान साईट खुलते ही रजिस्ट्रेशन फुल बताया जा रहा है।

कोरोना के वैक्सीनेशन में डाटा ऑपरेटरों का बड़ा रोल है। डाटा एंट्री और वैक्सीनेशन से पहले वेरिफिकेशन का काम भी ऑपरेटरों के जिम्मे होता है। सबसे जटिल प्रक्रिया यही होती है। इसमें कर्मचारियों की कमी से परेशानी हो रही है। डाटा ऑपरेटर की कमी पहले से भी थी, इस कारण से समस्या टीकाकरण में पहले से ही समस्या आ रही थी। 18+ का वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद समस्या और बढ़ गई। इस बीच संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल के बाद इसका प्रतिकूल असर दिखा है।

 

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