संवाददाता.पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मंशा, अटार्नी जेनरल की बहस और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय के शपथपत्र के विपरीत संविधान के 102 वें संशोधन की व्याख्या कर बहुमत से जो फैसला दिया है उससे अब राज्य की सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए पिछड़े वर्गों की पहचान व सूची तैयार करने के अधिकार से राज्य वंचित हो जाएंगे।ऐसे में अब राज्यों को केंद्र सरकार से बातचीत कर हस्तक्षेप व आवश्यकता पड़े तो संविधान संशोधन की मांग करना चाहिए ताकि राज्यों का अधिकार पूर्ववत कायम रहें।
श्री मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 102 वें संविधान संशोधन जिसके तहत पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया था को वैधानिक तो माना है, मगर नए सिरे से व्याख्या कर पिछड़े वर्गों की केवल केंद्रीय सूची बनाने का फैसला दिया है। मालूम हो कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए जहां केंद्र पिछड़ों की सूची तैयार करती थी वहीं राज्यों को भी राज्य की नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अपने स्तर से पिछड़ों की पहचान व सूची तैयार करने का अधिकार था।
सुप्रीम कोर्ट के कल (बुधवार) के फैसले से पूर्व 102 वें संविधान संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान अटार्नी जेनरल वेणु गोपाल ने जहां पिछड़े वर्गों की पहचान व सूची बनाने के राज्यों के अधिकार को बरकरार रखने के केंद्र सरकार की मंशा को स्पष्ट कर दिया था वहीं सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय ने भी राज्यों के अधिकार को कायम रखने का शपथपत्र दिया था, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़े वर्गों की केवल केंद्रीय सूची तैयार करने का निर्णय दिया है।ऐसे में राज्यों को केंद्र से बातचीत कर पहल करनी चाहिए और यदि आवश्यकता पड़े तो संविधान संशोधन आदि के जरिये इसका समाधान निकाला जाय ताकि राज्य की नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्यों को पिछड़ों की पहचान व सूची तैयार करने का अधिकार पूर्ववत कायम रहें।