रेमडेसिविर दवा पर सरकार लगाए रोक- पप्पू यादव

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संवाददाता.पटना.पीएमसीएच और एनएमसीएच में लैब टेक्नीशियन और डाटा आपरेटर्स की कमी है। जो कर्मी पहले कार्यरत थे उनमें से अधिकतर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। सरकार कह रही है कि एनएमसीएच को 500 बेड का कोविड अस्पताल बनाया गया है लेकिन स्थिति बहुत गंभीर है। उक्त बातें जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने कही। वे मंदिरी स्थित जाप कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

पप्पू यादव ने कहा कि एम्स के निदेशक कह चुके हैं कि रेमडेसिविर दवा कोरोना का इलाज नहीं है, फिर इस पर बैन क्यों नहीं लग रहा है? गलत जानकारी के कारण लोग 20-30,000 रुपए तक देकर इस दवा को खरीद रहे हैं। इस दवा पर रोक लगनी चाहिए।

पप्पू यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए जाने चाहिए और आक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। बिहार में इतनी बुरी स्थिति है कि कल्पना नहीं की जा सकती है। कोरोना वार्ड में मरीजों को खाना खिलाने वाला कोई नहीं है। वार्ड के शौचालयों की सफाई नहीं हो रही है। बीमार व्यक्ति अगर वहां जाएगा तो और बीमार हो जाएगा।

जाप अध्यक्ष ने कहा कि एंबुलेंस वाले मरीज को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए 12,000 रुपए ले रहे हैं। कई डाक्टर सेप्सीवैक और अन्य मंहगी दवाएं लिख रहे हैं। जबकि इससे कोरोना वायरस से बचा नहीं जा सकता। मरीजों को लूटा जा रहा है। राज्य सरकार बेबस नजर आ रही है। अधिकारी कह रहे हैं कि वे मदद नहीं कर सकते।मौके पर जाप के राष्ट्रीय महासचिव राजेश पप्पू उपस्थित थे।

 

 

 

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