संवाददाता.पटना.अब सरकारी कर्मी या फिर अधिकारी के घर किलकारी गूंजने पर प्रसव के दौरान होने वाले खर्च का आर्थिक भार स्वास्थ्य विभाग उठाएगा। प्रदेश की आम जनता के साथ सरकारी कर्मी भी सुरक्षित प्रसव को लेकर जागरूक बने। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग ने यह खास पहल की है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने उपर्युक्त जानकारी देते हुए बताया कि प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, फिर भी प्रसव के दौरान कुशल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है तो जच्चा व बच्चा की मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। साथ ही माता व शिशु के स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है। लिहाजा राज्य सरकार ने फैसला किया है कि बच्चे के जन्म लेने पर प्रसव के दौरान होने वाले खर्च की चिकित्सा प्रतिपूर्ति स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिलेगी।
उन्होंने बताया कि बिहार उपचार नियमावली के नियम 26 के अनुसार राज्य सरकार को यह शक्ति है कि वह किसी भी व्यक्ति को, जो इस नियमावली के अधीन उपचार या इलाज के लिए प्राधिकृत नहीं है, उसके लिए उपचार व इलाज की सुविधा प्रदान करे। मंत्री ने बताया कि सरकारी कर्मी एवं अधिकारियों को सरकार की ओर से मिलने वाली यह सहायता प्रथम दो संतानों तक ही सीमित होगी।
श्री पांडेय ने बताया कि अच्छी बात यह है कि चाहे बच्चे का जन्म नार्मल डिलेवरी से हो या फिर सीजेरियन, दोनों स्थिति में सरकारी कर्मियों को विभाग की ओर से चिकित्सा प्रतिपूर्ति मिलेगी। इस संबंध में विभाग की ओर से प्रदेश के सभी जिलाधिकारी, मेडिल कालेज अस्पताल के अधीक्षक व सिविल सर्जन को पत्र लिखकर निर्देश का पालन करने को कहा गया है। वर्तमान में अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मियों और कई राज्य सरकार अपने कर्मियों को सामान्य प्रसव व सिजेरियन प्रसव हेतु मेडिक्लेम आधारित सुविधा उपलब्ध कराते हैं। अब बिहार सरकार भी यह सुविधा अपने सरकारी कर्मियों व अधिकारियों को उपलब्ध कराएगी।