जानें….क्या है भगवान श्रीगणेश का जीवन संदेश ?

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इशान दत्त.

भगवान गणेश  माता पार्वती के प्रिय पुत्र हैं और सबसे बुद्धिमान भी हैं।भगवान गणेश विघ्नविनाशक, मंगलमूर्ति माने जाते हैं. देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश बुद्धि के देवता माने जाते हैं. सांसारिक जीवन में संपूर्ण गणेश अपने आप में जीने की सीख देते हैं.

हम सभी भगवान गणेश के रूप से भले भाति परिचित हैं चाहे वह किताब के जरिये हो या चलचित्र के जरिये ।  लेकिन क्या आप यह जानते हैं की गणेश जी का  प्रतीकात्मक वर्णन, जीवन में हमे एक ज़रूरी सीख  देता हैं. आईये जानते हैं  भगवान गणेश के  प्रतीकात्मक वर्णन को.

गणेश जी  का हाथी समान मस्तक हाथियों के  बल व शक्ति का प्रतीक माना जाता है, साथ ही हाथी की स्मरण शक्ति भी बहुत तेज़ होती है। ऐसे में गणेश  जी का विशाल मस्तक उत्तरदायित्वों के बोझ को सहने, हर तरह की दुख तकलीफों में भी खुद को सामान्य व धैर्यवान बनाए रखने और बुद्धिमता का प्रतीक है।

गणेश जी  की ये छोटी  आंखें  छोटी से छोटी चीज़ को भी देखने की क्षमता रखती हैं। जो यह सन्देश देता हैं  कि हर चीज का गहराई से अध्ययन करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सही फैसला लिया जा सकता है।

गणेश जी के बड़े कान का अर्थ है कि आपको सभी की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए, साथ ही साथ यह बात भी ध्यान में रखना हैं कि कान से सबकी बातों को सुनें लेकिन अपने अंदर केवल सत्य को ही समाहित करें।

गणेश जी के दो दांत हैं एक अखंड व दूसरा खंडित। अखंड दांत श्रद्धा को दर्शाता हैं  जबकि उनका खंडित दांत बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि एक बार बुद्धि भले ही भ्रमित हो जाए लेकिन श्रद्धा कभी नहीं डगमगानी चाहिए। और हमें अपने मन में श्रद्धा का भाव सदैव रखना चाहिए।

गणेश का बड़ा पेट उदारता और कुल स्वीकृति का प्रतिनिधित्व करता है। गणेश का ऊपर उठा हुआ हाथ रक्षा का प्रतीक है – अर्थात, ‘घबराओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ’ और उनका झुका हुआ हाथ, जिसमें हथेली बाहर की ओर है,उसका अर्थ है, अनंत दान, और साथ ही आगे झुकने का निमंत्रण देना – यह प्रतीक है कि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जायेंगे। वे अपने हाथों में अंकुश लिए हैं, जिसका अर्थ है – जागृत होना , और पाश – अर्थात नियंत्रण। जागृति के साथ, बहुत सी ऊर्जा उत्पन्न होती है और बिना किसी नियंत्रण के उससे व्याकुलता हो सकती है।

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