संवाददाता.पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आंदोलनकारी किसानों सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र के प्रस्ताव पर किसान फिर से विचार करें, संवाद से ही समाधान होगा ।उन्होंने कहा कि टुकडे-टुकडे गैंग के लोगों के पोस्टर और खालिस्तान के नारों से अन्नदाता की छवि खराब हुई है।
श्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि नये संसद भवन के लिए भूमिपूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक की वाणी याद करते हुए कहा कि जब तक दुनिया रहे, तब तक संवाद चलते रहना चाहिए, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गुरु के कुछ बंदे कृषि कानून के विरोध में संवाद की जगह हाइवे और ट्रेन रोकने की बात कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार ने एमएसपी और मंडी सहित जिन छह मुद्दों पर किसानों की बात मान लेने का प्रस्ताव दिया है, उस पर किसान संगठनों को ठंडे मन से पुनर्विचार करना चाहिए।इस मुद्दे पर जिस तरह से विपक्षी दलों का भारत बंद बेअसर रहा, उससे जाहिर है कि जनता ने टकराव की राजनीति को नकार दिया। किसान आंदोलन के नाम पर हाइवे जाम करना, उसमें टुकडे-टुकडे गैंग के छात्र नेताओं की फोटो लगाकर उनकी रिहाई की मांग करना, खालिस्तान के समर्थन में नारे लगना और देश के दो औद्योगिक घरानों के व्यवसाय को निशाना बनाना साबित करता है कि दिल्ली के किसान आंदोलन में भारत विरोधी ताकतें घुस आयी हैं या कुछ किसान संगठन ऐसी ताकतों का एजेंडा चला रहे हैं।जो किसान संगठन वास्तव में समाधान चाहते हैं, उन्हें आपत्तिजनक पोस्टरों-नारों पर देश को सफाई देनी चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कौन है जो अन्नदाता किसान की भारत विरोधी छवि बना रहा है और संसद से पारित कानूनों को रद करने की जिद को हवा दे रहा है?