संवाददाता.पटना.बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा है कि 2005 से पहले की सरकार किसानों को लूटती थी और आज एनडीए की सरकार प्राकृतिक आपदा और विपदा के वक्त भी उनके साथ खड़ी रहती है । फ़र्क साफ है तभी तो 2005 के पहले की सरकार का कृषि विभाग का बजट 20 करोड़ रुपये का था और आज किसानों की हितैषी सरकार का कृषि विभाग का बजट 2400 करोड़ रू का है — फ़र्क साफ है तब की सरकार की चाहत और आज की एनडीए सरकार की उत्कंठा।
डॉ कुमार मंगलवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे । 2005 के पहले की सरकार की किसानों की शोषण प्रवृत्ति के कारण फसलों की उत्पादकता बहुत कम थी । आंकड़ा गवाह है तब कि उत्पादकता 18•23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन 37•86 लाख मि• टन था । जो 2005 से 2020 की एनडीए सरकार ने उत्पादकता जहां 28•43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही तो उत्पादन 61•55 लाख मि•टन हो गया । यानी दो गुनी से ज्यादा वृद्धि – फर्क साफ है। धान का उत्पादन भी दोगुना हुआ अर्थात चावल के उत्पादन में भी दो गुनी वृद्धि हुई । इसी प्रकार मकई, तेलहन, दलहन सहित अन्य उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई व कृषि विकास की अन्य विधायें विकसित हुई ।
डॉ कुमार ने कहा कि किसानों को अब किसी कार्यों के लिए कार्यालयों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बाबूओं की जी हुजूरी की जरूरत नहीं सब कुछ ऑन लाइन – फर्क साफ है ! अब तो बीज की होम डिलेवरी भी होती है पहले तो खाद और बीज के लिए होती थी मार काट और कालाबाजारी- फर्क साफ है। 2019- 20 से ऑनलाइन व्यवस्था के जरिये लगभग सवा 23 लाख किसानों को पौने 6 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध कराया गया है । डॉ कुमार ने कहा कि बाढ़ सुखाड़ से हुई फसल क्षतिपूर्ति के लिए 2005 से पहले सरकार के यहाँ किसानों गुहार की अनसुनी होती थी वहीं 2005 के बाद किसानों के बीच कृषि इनपुट सब्सिडी दी जाती है। बीते साल में पंद्रह लाख किसानों के खातों में 1488 करोड़ रू का कृषि इनपुट सब्सिडी भुगतान किया गया। बीते दो वर्ष में बाढ़ सुखाड़ फसलों की हुई क्षतिपूर्ति के लिए 48 लाख से किसानों के खातों में 2163 करोड़ कृषि इनपुट सब्सिडी के रूप में डीबीटी के जरिये राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी गयी जो अपने आप में रिकॉर्ड है और फ़र्क भी साफ है । किसानों की प्रति चिंतित एनडीए की सरकार ने प्रधानमंत्री किसान समान निधि योजना के अंतर्गत लगभग 75 लाख किसानों के खातों में 5213 करोड़ रू डीबीटी के जरिये भेजी गयी है । जो 2005 के पहले कतई मुमकिन नहीं था – फ़र्क साफ है ।