संवाददाता.पटना. नयी शिक्षा नीति से बिहार को होने वाले फायदों के बारे में बताते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि ज्ञान और सूचना के इस युग में शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन काफ़ी आवश्यक हो गया था. पुरानी शिक्षा नीति में जहां नंबर गेम में उलझ कर रह जाती थी, वहीं नयी शिक्षा नीति में सीखने, अनुसंधान और नवसृजन करने पर ज़ोर दिया गया है. इसमें शिक्षा के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, नवाचार पर आधारित शिक्षा केंद्रों के जरिए स्कूली शिक्षा पूरी न कर पाने वालों को फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लाने, और सीखने के अनेक तरीके उपलब्ध कराने पर भी फोकस किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह नई शिक्षानीति बिहार जैसे राज्यों के लिए वरदान साबित होने वाली है. इस नीति में शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाने की बात भी कही गयी है, जिससे हमारे युवा न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि वह नौकरी मांगने वाले की जगह नौकरी देने वाले बनेंगे. युवाओं की यह आत्मनिर्भरता राज्य की विकास की गति को भी तेज करेगी.
डॉ जायसवाल ने कहा कि यह सर्वविदित है कि हमारे कई युवा, अनेक कारणों से उच्च शिक्षा जारी नहीं रख पाते थे. नई शिक्षा नीति में इसका समाधान खोजने का प्रयास किया गया है. इस नीति के तहत दी गयी ‘मल्टिपल एंट्री एंड एग्जिट’ की सुविधा के तहत ग्रेजुएशन आदि में यदि छात्र किसी कारण से आगे नहीं पढ़ पाता है तो वो सिस्टम से अलग होने से बच जाएगा. नई नीति के तहत एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा तीन या चार साल के बाद डिग्री, यानी प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के क्रेडिट जुड़ते जाएँगे. यानी, उन्हें अपना कोर्स पहले साल से ही शुरू नहीं करना होगा. इसके अलावा कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, जिससे उनकी प्रतिभाओं को नये आयाम मिलेंगे. इसके अलावा, इस नीति में पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश भी की गई है.