कोरोना जांच;डाटा का खेल ?

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नवल शर्मा.

पटना.बिहार में चार दिन में तीन गुना कोरोना टेस्ट । रोज साठ हजार के करीब टेस्ट । सुन के कितना सुकून मिल रहा ! लग रहा अब हम कोरोना की जंग जीत लेंगे ! लेकिन ठहरिए और बस दो सवाल  सोंचिये ! आखिर ये जादुई कारनामा हो किसलिये रहा है और हो रहा है तो कैसे हो रहा है ? 

लुलहे-लंगड़े  स्वास्थ्य विभाग में ये अचानक जो सुर्खाब के पंख लगे दिख रहे हैं उसका कारण आपकी जान की रक्षा नहीं बल्कि बिहार का चुनाव है । इसे आप ‘ डाटा का खेल ‘ कह सकते हैं । अगले कुछ दिनों में ये आंकड़ा एक लाख तक पहुंच जाए तो भी आश्चर्य मत कीजियेगा । इनकी कोशिश है कि आंकड़ों को इतनी तेजी से पलटो की बहुत जल्द बिहार में स्थिति सामान्य सी दिखने लगे और तब चुनाव कराना आसान हो जाये । इसके लिए ये आंकड़ों से खेलेंगे , सही आंकड़े छुपायेंगे और आपकी आंखों में धूल झोंक साबित करेंगे कि हमने कोरोना को नियंत्रित कर लिया । कभी मत आइयेगा इस झांसे में । अब ये सीधे सीधे आपकी जान से खिलवाड़ करने में लग गए हैं ।

अब , दूसरे सवाल पर आएं की  ये हो कैसे रहा है ?  तो रैपिड  एंटीजन टेस्ट के जरिये न की  RT -PCR के जरिए । RTPCR को भारत मे कोरोना की सबसे पक्की जांच माना जाता है । नियम ये है कि अगर एंटीजन टेस्ट में टेस्ट रिज़ल्ट पॉज़िटिव आया तो उसे फाइनल रिज़ल्ट मान लिया जाएगा और आपका  कोरोना का उपचार शुरू कर दिया जाएगा. लेकिन अगर  एंटीजन टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आया, तो संतुष्ट होने के लिए एक बार RT-PCR टेस्ट जरूर किया जाएगा।  हमारे कई मित्रों ने अपना एंटीजन करवाया है । उनसे ही नहीं बल्कि जो लोग भी मेरे लिखे को पढ़ेंगे , उनसे एकमात्र सवाल – क्या नेगेटिव आने के बाद सरकार ने आपका RTPCR करवाया है ?

इसका दूसरा पहलू, यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति में कोरोना वायरस की मात्रा एक जैसी हो , सबमें कम ज्यादा होता है । तो अगर आपमें वायरस की मात्रा ज्यादा है तो ये एंटीजन टेस्ट 84% तक सही रिजल्ट बताएगा और अगर मात्रा कम है तो ये 50 % तक ही सही बताएगा ।  अब निर्णय आपके हाथ में है , आपको मूकदर्शक बनके  फिफ्टी फिफ्टी का खेल देखना है या अपनी सम्पूर्ण सुरक्षा करनी है ।

और अंत मे सबसे महत्वपूर्ण बात कि ये वही रैपिड एंटीजन टेस्ट है जिसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई थी कि वो ये टेस्ट क्यों करवा रही जबकि इसकी रिपोर्ट गलत आने की दर और संभावना बहुत ज्यादा है  । कोर्ट ने सीधे कहा कि  आप RT-PCR टेस्ट की आधी क्षमता का भी  इस्तेमाल नहीं कर रहे क्योंकि आपका फोकस रैपिड एंटीजन टेस्ट पर है जबकि टेस्टिंग का गोल्ड स्टैण्डर्ड RT-PCR टेस्ट है.”

सारी स्थितियाँ आपके सामने है और निर्णय भी आपके हाथ मे ही है ।  वो जैसे चाह रहे आपको समझा रहे और आप समझ रहे । मैनेज्ड खबरों को पढ़ के अपनी राय मत बनाइये । स्थिति काफी विस्फोटक है । वो अब सीधे सीधे चुनाव के लिए आपकी जान से खेलने लग गए हैं । चुप मत बैठिए , पूछिये उनसे की आप अपनी वेबसाइट क्यों नहीं रेगुलर अपडेट करते हैं , कोरोना से जुड़ी आईसीएमआर और दूसरे जो भी प्राधिकार हैं उनके सर्कुलर और एडवाइजरी को क्यों नहीं अपलोड करते ताकि हम बिहारवासी सारी सूचनाओं से लैश रहें । अब समझ मे आया प्रत्यय अमृत को क्यों लाया गया ? और चलते चलते ये जरूर पुछा जाना चाहिए कि सरकार , RT -PCR में इतनी फिसड्डी और सुस्त क्यों हैं ?(नवल शर्मा के फेसबुक वॉल से)

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