संवाददाता.पटना. वैश्विक महामारी के बीच 31 जुलाई 2020 को बंद हो रहे गया जिला में चल रहे आयुष परियोजना में कार्य कर रहे संविदा आयुष स्वास्थ्यकर्मियों के आजीविका की माँगों को लेकर क्षेत्रीय कार्यालय ‘‘क्षेत्रीय आयुर्वेदीय संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान, अगमकुआँ, पटना का घेराव किया गया।
सोनवार को प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों के अनुसार हमलोग कुल 500 कर्मचारी 6 राज्यों में आयुर्वेद, यूनानी एवं होमयोपैथी के तहत स्वंसेवक/सेविकाद्ध कार्यरत हैं जिसका संचालन केन्द्रीय आयुर्वेदीय अनुसंधान परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा होता है। गया में कुल 162 कर्मचारी क्षेत्रीय आयुर्वेदीय संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान, पटना के अन्तर्गत जिला अस्पताल-1, अनुमंडलीय अस्पताल-2, सामुदायिक अस्पताल-14 एवं गौतम बु( कुष्ठ आश्रम-1द्ध के कुल 18 स्वास्थ्य केन्द्रों में चल रहे आयुर्वेद परियोजना में विगत 4 वर्ष 4 माह से संविदा पर कार्यरत है। इस परियोजना में आयुर्वेद, योग एवं जीवनशैली में बदलाव लाकर मधुमेह, उच्चरक्तचाप, पक्षाघात, मोटापा आदि मरीजों का ईलाज किया जा रहा है। हमलोग की अथक परिश्रम से अभी तक लगभग 370000 ;3लाख 70 हजारद्ध मरीजों को इससे लाभ हो चुका है जिससे ये लोग आयुर्वेद एवं योग के प्रति जागरूक हुए हैं।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के 23 स्वास्थ्य केन्द्रों पर यह परियोजना चल रहा है जिसमें 207 आयुषकर्मी कार्यरत हैं। गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के 11 स्वास्थ्य केन्दों पर यह परियोजना चल रहा है जिसमें 99 कर्मचारी आयुषकर्मी कार्यरत हैं।
वर्तमान परिदृश्य में कोविड-19 वैश्विक माहामारी में भी आयुर्वेद व योग के अच्छे परिणाम सामने उभर कर आ रहे हैं। क्षेत्रीय स्तर पर वर्तमान विकट परिस्थिति भरे समय में भी आयुष कर्मचारियों द्वारा कोरोना वायरस में भी प्रथम पंक्ति में खड़े होकर कोरोना योद्वाओं की भूमिका निभाई है एवं अपनी सेवाएं निरंतर प्रदान कर रहे हैं।कोविड यात्रियों की हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग, कोरेनटीन सेंटर, कोविड आईसोलेशन, कोविड पोजिटिव मरीजों को नियमित योगा, संक्रमित क्षेत्र में सर्वे एवं बचाव की जानकारी एवं कुछ क्षेत्रों में कोविड-19 से बचाव हेतु दवा, मास्क एवं सेनेटाइजर का वितरण भी किया जाना, आयुष संजीवनी ऐप के द्वारा लोगों को आयुर्वेद व देशी चिकित्सा के प्रति जागृत किया जाना, आमजन को रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जन-जागृत अभियान चलाया जा रहा है।
क्षेत्रीय कार्यालय बिहार के पत्र के अनुसार सभी डाटा कलेक्शन एवं कार्यालय संबंधित अन्य दस्तावेज,ओपीडी रजिस्टर, मेडिसीन स्टाक रजिस्टर, योग रजिस्टर आदि 22 जुलाई 2020 से 25 जुलाई 2020 के बीच सभी केन्द्र से डा. अग्निवेश शर्मा, एस.आर.एफ,आयुर्वेदद्ध को सुपुर्द कर दिया गया। दिनांक 23 जुलाई 2020 को सभी केन्द्रों ने सेवा विस्तार संबंधी पत्र भी क्षेत्रीय आयुर्वेदीय संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान, अगमकुआँ, पटना को मेल द्वारा भेजा गया लेकिन आज तक इस पत्र का कोई जबाब प्राप्त नहीं हुआ है। दिनांक 27 जुलाई 2020 को सभी आयुष एवं स्वास्थ्यकर्मी ने क्षेत्रीय आयुर्वेदीय संक्रामक रोग अनुसंधान संस्थान, अगमकुआँ, पटना के सहायक निदेशक प्रभारी डा. बी.आर. मीणा को पुनः ज्ञापन सौंप कर पूछा गया कि 31 जुलाई 2020 के बाद आयुष चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी का भविष्य क्या है तो प्रभारी महोदय ने कुछ स्पष्ट नहीं किया।
जिससे हम सभी कर्मचारीगण इस संदेश से काफी हताश, निराश और तनावग्रस्त हैं, क्योंकि हम सभी कर्मचारी की अधिकतम उम्र सीमा भी अब समाप्त हो गई है। इस परियोजना में 4 वर्ष 4 माह कार्य करने के बाद परियोजना के बंद होने पर हम सभी का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। इस परियोजना में कार्य कर रहे हम कुल 162 कर्मचारी के पीछे कम से कम 6 सदस्य जुड़े हुये हैं। ये हमारे आजीविका का प्रमुख साधन है। परियोजना बंद होने से हम सभी कर्मचारी के आजीविका पर कुठाराघात होगा।