अभिजीत पाण्डेय.
पटना. एमएमआर यानी प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या को इंगित करने वाले नवीनतम सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम डेटा के मुताबिक अधिकतम एमएमआर 149 के साथ बिहार देश में 8 वें स्थान पर है। जो कि राष्ट्रीय औसत 113 से 36 अधिक हैं। वर्ष 2014-16 के रिपोर्ट में बिहार में एमएमआर 165 था। यानी इसके अगले दो वर्षों में एमएमआर में 16 की कमी आई है।
बिहार में मातृ मृत्यु दर में 2014 के बाद पहली बार 16 अंकों की गिरावट हुई है। 2014-16 के बीच राज्य में प्रति एक लाख पर 165 माताओं की मृत्यु हो जाती थी। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के अनुसार 2018 में यह आंकड़ा गिरकर 149 पर आ गया है। जबकि, पूरे देश में इसी अवधि में मातृ मृत्यु दर में नौ अंकों की कमी आई है। इसके अलावा, राज्य के लाेगाें की औसत आयु भी बढ़ी है। 2016 तक बिहार के लोगों की औसत आयु जहां 68.07 वर्ष थी, वह एसआरएस 2018 के अनुसार बढ़कर 68.09 वर्ष हो गई है।
इस तरह लोगों की औसत आयु में 2 महीने की वृद्धि हुई है। शिशु मृत्यु दर भी प्रति हजार 35 से घटकर राष्ट्रीय औसत 32 के बराबरी पर आ गई है। ऐसा पहली बार हुआ है।
देश में अधिकतम एमएमआर के मामले में पहले स्थान पर असम, दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश, तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश, चौथे स्थान पर राजस्थान और पांचवें स्थान पर छत्तीसगढ़ है जबकि केरल और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं जहां एमएमआर सबसे कम है।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के अनुसार मातृ मृत्यु दर के मामले में राज्यवार आंकड़ों पर गौर करें तो असम -मे 215,उत्तर प्रदेश मे197,मध्यप्रदेश मे 173,राजस्थान मे 164, छत्तीसगढ़ मे 159, ओडिशा मे 150,बिहार मे 149,पंजाब मे 129,उत्तराखंड मे 99,पश्चिम बंगाल मे 098,कर्नाटक मे 092,हरियाणा मे 091,गुजरात मे 075,झारखंड मे 071,आंध्र प्रदेश मे 065,तेलंगाना मे 063,तमिलनाडु मे 060,महाराष्ट्र मे 046 औरकेरल मे 043 प्रति एक लाख है।
टीकाकरण के क्षेत्र में भी बिहार आगे बढ़ रहा है और अब 86 फीसदी टीकाकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि ये सारे आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि राज्य में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर बड़े अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई है।