संवाददाता.पटना.राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भाजयूमो सह पूर्व प्रत्याशी भागलपुर विधानसभा अर्जित शाश्वत चौबे ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का रिसर्च विंग भागलपुर ट्रिपल आईटी द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से बनाया गया साफ्ट्वेयर एवं हैंड हेल्ड डिवाइस जिससे 4-5 सेकंड के अंदर डिजिटल एक्सरे या सिटी स्कैन को कंप्यूटर टर्मिनल में फिड कर यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज कोविड-19 पॉजिटिव है या नेगेटिव को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सराहा गया है।
केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने टीम को शोध के लिए धन्यवाद दिया है एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने साफ्टवेअर जाँच की बात कहा एवं आईसीएमआर द्वारा टेस्ट प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए ट्रिपल आईटी टीम का आभार प्रकट किया है। यह साफ्टवेअर डिजिटल एक्सरे को देखकर सेकंड भर में यह बता देता है कि मरीज को टीबी है या निमोनिया। देश का यह पहला शोध है जिसके साफ्टवेअर द्वारा कम खर्च और कम समय में कोविड-19 डिटेक्शन किया जा सकता है।
अर्जित ने बताया कि इस शोध को देश भर में लागू कराने की पहल के लिए शोधकर्ताओं ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो अरविंद चौबे, असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ संदीप राज एवं आलसोल टेक्नोलॉजी के निदेशक ई. अर्जित शाश्वत चौबे ने संयुक्त कोलैबोरेशन किया है। इस शोध का प्रायमरी टेस्टिंग ट्रिपल आईटी भागलपुर में किया गया था जिसके बाद अप्रूवल एवं वेलिडेशन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय के इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च एवं सर्टिफिकेशन के लिए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भेजा गया है।
अर्जित चौबे ने बताया कि प्रारम्भिक शोध में उनके द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से टेक्निकल सपोर्ट देने की बात कही गयी थी चूंकि उनका शोध एआई में ही था और उनकी कंपनी आलसोल टेक्नोलॉजी इस विषय पर भी वर्षों से कार्य कर रहा है। पिछले 4 महीनों में साफ्टवेअर एल्गोरिदम को कई बार बदला गया है ताकि न्यूनतम त्रुटि के साथ साफ्टवेअर रन कर सके। अभी देश मे कोविड जाँच के लिए जो प्रक्रिया है उसमें ट्रूनेट मशीन में जाँच किया जा रहा है जिसके उपरान्त आरटीपीसीआर में पुनः कन्फर्मेशन किया जाता है जिसमे 2500-3000 रूपया का खर्च आता है एवं 2-3 दिन का समय भी लगता है एवं 30-35 प्रतिशत का एरर भी राहत है। जबतक कोविड जाँच पॉजिटिव आता है तबतक मरीज अपना इंफेक्शन कई लोगों को दे चुका होता है और कई बार जाँच में ये पता नही चलता है कि मरीज नेगेटिव है या पॉजिटिव। नवीन साफ्टवेअर के माध्यम से डिजिटल एक्सरे लेते ही टर्मिनल पर कोविड पॉजिटिव, नेगेटिव देखा जा सकता है और एरर केवल 3-5 प्रतिशत का ही है। यह साफ्टवेअर असिम्प्टोमैटिक और न्युमोनीक केस को भी बड़े सरलता के साथ बात देता है कि मरीज कोविड-19 है। साथ ही साफ्टवेअर द्वारा मरीज को निमोनिया है कि नही यह भी स्पष्ट हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस शोध के लिए मुख्य इन्वेस्टिगेटर प्रो.अरविंद चौबे एवं को-इन्वेस्टिगेटर के रूप में डॉ संदीप राज एवं मैंने अथक प्रयास कर एआई बेस्ड साफ्टवेअर तैयार किया है जिसका लैब एवं क्लीनिकल टेस्टिंग स्वास्थ विभाग के आईसीएमआर द्वारा चल रहा है एवं फाइनल अप्रूवल के बाद साफ्टवेअर को अधिकृत कर वैलिडेट अगले एक सप्ताह में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कर दिया जाएगा ताकि देश भर में इस तकनीक को लागू किया जा सके।