मुंबई, वर्तमान में देश के सबसे बड़े ऑनलाइन विद्यालय चलाने वाले लीड स्कूल द्वारा हाल ही में किए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि महामारी की वजह से किंडरगार्टन से लेकर बारहवीं तक के बच्चों के अभिभावकों के मन में एक बड़ी चिंता उत्पन्न हुई है। इस सर्वेक्षण का निष्कर्ष है कि कोविड महामारी के दौरान समाज और अर्थव्यवस्था में अपने बच्चों के भविष्य को लेकर 85% से ज्यादा अभिभावक अब और भी ज्यादा चिंतित हैं।
महानगरों, शहरों और कस्बों में करीबन 5000 अभिभावकों के साथ किए गए इस राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में कुछ वास्तविक किंतु कठोर निष्कर्ष सामने आये हैं: 70% अभिभावक उनके बच्चों की शिक्षा पर कोविड के प्रभाव को लेकर काफी चिंतित हैं। नौवीं और दसवीं कक्षाओं के छात्रों के अभिभावक थोड़े ज्यादा व्याकुल हैं; सर्वेक्षण में सहभागी हुए अभिभावकों में से 78% से ज्यादा अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में चिंतित हैं; और करीबन 40% अभिभावकों ने उनके बच्चें पढाई में पीछे रहने और उनका पढाई का एक साल बर्बाद होने के बारे में चिंता जताई है।
ध्यान देने लायक बात है कि हमारे देश में ऑनलाइन शिक्षा का काफी प्रसार हो रहा है, इस सर्वेक्षण से पता चला है कि करीबन ७०% अभिभावक सोचते हैं कि वे अपने बच्चों की घर से चलने वाली शिक्षा का समर्थन कर सकते हैं, माता और पिता दोनों में सोच दिखाई दी है। इतनाही नहीं, 60% से ज्यादा अभिभावक मानते हैं कि ऑनलाइन विद्यालय यह शिक्षा का प्रभावकारी तरीका है और विद्यालयों में कक्षाओं में बिठाकर दी जाने वाली शिक्षा के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षा को भी जारी रखा जाना चाहिए।
लीड स्कूल की जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरयाणा के अभिभावक मानते हैं कि वे अपने बच्चों की शिक्षा में मदद करने के लिए अच्छी तरह से सक्षम नहीं हैं। दूसरी ओर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के अभिभावक सोचते हैं कि वे अपने बच्चों की शिक्षा में मदद करने के लिए सक्षम हैं।
हालांकि, आश्चर्य की बात नहीं है कि, 79% अभिभावकों ने कहा है, वे अपने बच्चों के साथ अधिक गुणवत्तापरक समय बिताने सक्षम हैं – इस प्रवृत्ति को बड़े और छोटे दोनों शहरों में देखा गया है।
भारतीय अभिभावकों की प्रमुख चिंताओं को समझना इस राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का उद्देश्य था। इसमें सहभागी हुए अभिभावकों ने कोविड-19 महामारी के कारण विद्यालय बंद रहने की समस्या का सामना करने के अपने अनुभवों को सांझा किया, साथ ही यह भी बताया है कि वर्तमान स्थिति बच्चों के बारे में उनके निर्णयों को किस तरह से प्रभावित कर रही है।
लीड स्कूल के सह-संस्थापक और सीईओ श्री. सुमीत मेहता ने बताया, “मैं उस डर को समझ सकता हूं जो अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालयों में भेजने के बारे में महसूस कर रहे हैं। हमारे विद्यालयों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे उच्च गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा का अनुभव प्रदान करें ताकि अगर हम हमारे बच्चों को विद्यालयों में न भेजने का निर्णय ले तो उनका कोई नुकसान न हो। लेकिन साथ ही हमें उन अभिभावकों के निर्णय का भी सम्मान करना होगा जो अपने बच्चों को विद्यालयों में भेजना चाहते हैं। विद्यालयों में नियमों का पालन हो रहा है यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार को नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए और जो विद्यालय नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि अभिभावकों और छात्रों दोनों के बीच विश्वास निर्माण करने का यही एकमात्र तरीका है। अभिभावकों को इस विकल्प का उपयोग करना चाहिए और विद्यालयों के समन्वय और सहयोग से आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि अभिभावकों और विद्यालयों के बीच विश्वासपूर्ण संबंध ही कोविड-19 को भारतीय शिक्षा क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा उपहार साबित कर सकते हैं।”
लीड स्कूल ने हाल ही में भारत के विद्यालयों के लिए पोस्ट लॉकडाउन हैंडबुक (Post Lockdown Handbook) प्रकाशित किया है। लॉकडाउन के बाद छात्रों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा इन दोनों लक्ष्यों को एकसाथ पूरा करते हुए विद्यालयों को चलाने के बारे में सिफारिशें और मार्गदर्शक सुझाव इस हैंडबुक में दिए गए हैं।
लीड स्कूल
लीड स्कूल को भारत में सबसे तेजी से बढ़ती शिक्षा कंपनियों में से एक लीडरशिप बोलवर्ड द्वारा प्रायोजित किया गया है। 2012 में शुरू किए गए लीड स्कूल ने विद्यालयों के लिए एक एकीकृत शिक्षा प्रणाली विकसित की है जो छात्रों को उत्कृष्ट स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने में मदद करती है। लीड स्कूल में शिक्षा और सीखने की एकल प्रणाली में प्रौद्योगिकी, पाठ्यक्रम और शिक्षा को एकीकृत किया गया है, ताकि देश भर के विद्यालयों में छात्रों के सीखने और शिक्षकों के अध्यापन के प्रदर्शन में सुधार आए। लीड स्कूल के अपने छह विद्यालय हैं, साथ ही देश भर के 15 राज्यों में द्वितीय से चतुर्थ श्रेणी के शहरों सहित 300 से अधिक शहरों में 800 से अधिक विद्यालयों के साथ उनकी साझेदारी है। इन विद्यालयों में कुल मिलाकर करीबन 3 लाख से ज्यादा छात्र हैं।