मुख्यमंत्री पर लोगों को गुमराह करने का राजद का आरोप

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संवाददाता.पटना.राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री द्वारा  क्वारंटाईन केन्द्रों का जायजा लेने को तमाशा करार देते हुए लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है ।

राजद नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री जी पिछले तीन दिनों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य के विभिन्न क्वारंटाईन केन्द्रों का जायजा ले रहे हैं । और वहाँ क्वारंटाईन किये गये प्रवासी मजदूरों से बात कर केन्द्रों पर की गई व्यवस्था की जानकारी ली । पर जो जानकारी उन्हें दी गई हकीकत वह नहीं है । लम्बे राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव वाले मुख्यमंत्री जी भी इस सच्चाई को समझ रहे होंगे । वे यदि सही में क्वारंटाईन केन्द्रों की स्थिति जानना चाहते हैं तो उन्हें केन्द्रों पर मीडिया के प्रवेश पर लगाये गये रोक को हटा लेना चाहिए । और मीडिया के माध्यम से उन्हें केन्द्रों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल जायेगी । अन्यथा उनके द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से  क्वारंटाईन केन्द्रों का जायजा लेना लोगों को गुमराह करने के लिए तमाशा के अलावा और कुछ नहीं है ।

मुख्यमंत्री जी इस सच्चाई से भलीभांति परिचित हैं कि जिस क्वारंटाईन केन्द्रों का वे जायजा ले रहे हैं उसका चयन स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा किया गया होगा । साथ हीं किस प्रवासी मजदूर से मुख्यमंत्री जी बात करेंगे उसका चयन भी स्थानीय पदाधिकारी हीं किये होंगे । मुख्यमंत्री जी और मजदूर के बीच हो रही वार्ता के समय भी निश्चित रूप से स्थानीय पदाधिकारी उपस्थित होंगे । ये सब प्री-मैनेज्ड रहता है जिसे वास्तविकता से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं ।

राजद नेता ने कहा कि क्वारंटाईन केन्द्रों की स्थिति काफी दयनीय है । अधिकांश क्वारंटाईन केन्द्र यातना गृह का रूप ले चुका है । निर्धारित मापदंड के अनुसार प्रवासी मजदूरों के लिए न खाने पीने की व्यवस्था है और न साफ सफाई की। उन्हें पदाधिकारियों की प्रताडना सहनी पड़ती है। केन्द्रों पर पदस्थापित शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों अथवा अन्य निम्न वर्गीय कर्मियों को भी पदाधिकारियों के दबाव में उनके निर्देशानुसार चलने को बाध्य होना पड़ता है ।

मुख्यमंत्री जी यदि वास्तव में स्थिति से रूबरू होना चाहते हैं तो उन्हें  मुख्यमंत्री आवास से निकल कर वगैर पूर्व घोषणा के किसी भी क्वारंटाईन केन्द्रों पर जाकर वहाँ की व्यवस्था देखनी चाहिए और प्रवासी मजदूरों के कष्टों को सुनना चाहिए । अन्यथा उनकी सारी कवायद लोगों को गुमराह करने के लिए ” स्क्रिप्टेड तमाशा ” हीं माना जायेगा ।

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