सीमा सील,फिर भी चोरी-छिपे अरवल के गावों में प्रवासियों का आना जारी

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निशिकांत सिंह.अरवल.जिला में बिना अनुमति प्रवासियों का प्रवेश पूरी तरह रोक देने के दावों के बावजूद इनका आगमन नहीं थम पा रहा है. विभिन्न कारणों से सरकार को सीमाबंदी के बावजूद प्रवासियों को आगमन की अनुमति भी देनी पड़ रही है. जिला के सभी सीमा सील होने के बाद भी दूसरे राज्यों से जिला में प्रवासी मजदूरों का आना लगातार जारी है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार छः हजार 502 प्रवासी दूसरे राज्यों से पहुचे है. जिसमें चार हजार 133अपने अपने घर चोरी छुपे पहुंच गए थे जिन्हें घर जाकर स्क्रीनिंग किया गया. घर पहुंचने के बाद अधिकतर प्रवासी पंचायत में बने क्वाटराइन सेंटर पर नहीं गए. और उन्हें होम क्वाटराइन कर दिया गया. होम क्वॉटराइन में जो है उन्हें 21दिनों तक घर में रहना होता है. लेकिन कई जगह होम क्वाटराइन में रहने वाले नियमन का पालन नहीं कर रहे है और बेधड़क घूम फिर रहे है.

लॉकडाउन में राज्य से बाहर फंसे मजदूरों के बड़ी संख्या में लुक-छिपकर हजारों की संख्या में जिला में पहुंच गए. जिससे जिला के गावों में  बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है. जिला  में पिछले कुछ दिनों के कोरोना ट्रेंड में भी यह सामने आया है कि संक्रमण के जो मामले आये है वह प्रवासियों के ही निकले है. शुरू के जो मामले निकले थे उनमे प्रवासी जो आकर गांव रह रहे थे उनका रिपोर्ट पोजेटिव आया था. जिसके बाद जो मामले छः निकल कर आया वह क्वाटराइन सेंटर में रह रहे प्रवासियों का निकला . कई प्रवासी बिना क्वाटराइन सेंटर के ही बिना स्क्रीनिंग के कराये भी रह रहे है. उसपर ये प्रवासी न सिर्फ अपनी पहचान छिपा रहे हैं, बल्कि क्वारंटाइन की शर्तों की अवहेलना कर गांव घर में घूम भी रहे हैं. इनके परिवार वाले भी कोई सहयोग नहीं कर रहे.

मिल रही खबरों के मुताबिक दूसरे प्रदेशों में आर्थिक तंगी और अन्य परेशानियां बढ़ने के साथ प्रवासी बिहारी अनेक माध्यमों का सहारा लेकर लौटने लगे हैं. इसमें मालवाहक ट्रकों से लेकर प्राइवेट गाड़ियां महंगी दरों पर बुक कराकर भी लोग आ रहे हैं. जिला में हर दिन मजदूर रोज पैदल, साइकिल या किसी और वाहन से आ रहे हैं. इन मजदूरों में से कुछ अपने साथ कोरोना का संक्रमण भी ला रहे हैं.

दो दिन पहले करपी प्रखंड के नगवा पंचायत के टेकारी गांव में हिमाचल प्रदेश से एक परिवार इसी तरह छिपते छिपाते गांव तक पहुंच गया. जिसके बाद गांव में हड़कंप मचा रहा जबतक स्वस्थ्य विभाग का टीम गांव में नहीं गया. ग्रामीण प्रशासन से लेकर मीडिया कर्मियों को फोन घुमाते रहे. इसी तरह करपी प्रखंड के ही झुनाठी गांव में मुंबई से एक युवक पंहुचा जिसका पांच दिन बाद उसका स्क्रीनिंग हुआ.

जिन गावों में प्रवासी आ रहे है उस वार्ड सदस्यों का कर्तव्य है कि वे सबसे पहले अपने पंचायत के मुखिया को सूचित करें. मुखिया प्रखंड विकास पदाधिकारी को सूचित करेगा. उसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी स्वस्थ्य विभाग को स्क्रीनिंग के लिए भेजेगा. उसके बाद उस जो प्रवासी आ गए उन्हें पंचायत में बने क्वाटराइन सेंटर में 21 दिनों तक रखने का प्रावधान है. लेकिन अधिकतर प्रवासी होम क्वाटराइन के नाम पर गांव में रह जा रहे है. बाहर से आये प्रवासी जो होम क्वाटराइन के नाम पर घर में रह जा रहे है उसका मोनेटरिंग का कार्य वार्ड सदस्य का है. जो न तो मोनेटरिंग करते है न ही आगे सूचना दे रहे है कि होम क्वाटराइन का पालन नहीं कर रहा है.

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