कोरोना…लॉकडाउन….और बतकुचन

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सत्यपाल श्रेष्ठ.

रह-रह के मौसम के मिजाज मजाकिया हो जा रहलो ह मनीष दा! अइसन समय पर यकीन कम, शक जादे होब हई मुन्ना! मौसम विभाग आंधी-पानी, ओला के आशंका जतइलके ह! उपजल रब्बी फसल के बर्बाद कर दे तई! हाँ मुन्ना! सब आफत किसान पर हई! हरियरका चईया (‘ग्रीन टी’) लइलियो ह मनीष दा! लैलहिं हं! कइसे बनतई मुन्ना! एरा में कोई कारीगरी न हई मनीष दा! पानी खौला द, आउ चूल्हा से उतार के एक कप में छोटका से आधा चम्मच पत्ती डाल के 2 से 3 मिनट झांप द! फिर छान ल! तनी जाहीं न, चूल्हवा भिर! एक दिन बना के बता देहिं! ठीके हई! पनिया चढ़ाहू चाची! हाँ बउआ, आब न! कर हियो! कनइया आउ बुतरुअन निम्मन हई न बउआ! हाँ चाची! सब तोहन्नी के आशीर्वाद हई! पत्तिया डालहू, तनी सा झांप देहू, मन हो त तनी चीनी मिला द! वाह मुन्ना! पीते एगो सेल्फ़ी लेहीं न मुन्ना! लड़कबन के भेज देबई! मर्दे पहिला बार पीलिये ह! हाँ मनीष दा! खाय-पिए के दिक्कत न हई मुन्ना! मिलाजुला के चल जा हई! का कह हू, मनीष दा! एतना फइल से के गो रह हई! जान हू मनीष दा! अमेरिका बड़ी गरमाल हई! इ वायरस चीन फइललके ह! कह रहले कि साबित हो गेलउ न, बुआ त बोकलईया छोड़ा देबउ! डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के हेड डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियेस, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर हई! कहलकई कि तू ई बीमारी के गंभीरता काहे न बतईलहीं! आउ उल्टे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बड़ाई कर कर रहलहिं हं! इ ठीक बात न हऊ! हम WHO के फंड रोक देबऊ! वार्षिक बजट (4.5 बिलियन डॉलर) के 15% अमेरिका दे हई! WHO के करीब सात हजार हेल्थ वर्कर दुनियाभर में काम कर हई! डेढ़ सौ ऑफिस हई! इ यूएस के हिस्सा हई! द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एकर स्थापना होले हल! दोसर दने फ़्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लूक मांटेग्नर के भी दावा हई कि कोविड-19 महामारी फैलावे वाला वायरस के उत्पत्ति प्रयोगशाला में होले ह, आउ मानव निर्मित हई! चीन चारों दने से घेराल हई! चमगादड़ से ओर-बोर करके बनाब-फैलाब हो! बड़ी अपडेट हीं कि मुन्ना! ढेर पत्रकारो, एतना न, जान होतई! एरे पर कह हियो, जान हू मनीष दा, मुंबई में 53 गो पत्रकार पॉजिटिव हो गेलइ! ले लोट्टा, इतो आउ चिंता के बात हई मुन्ना! हाँ मनीष दा! 17 हजार से जादे आदमी संक्रमित हो गेलइ! पांच सौ से जादे तो मर गेलइ! अमेरिका के अख़बार ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ में छपले ह कि अगर अलगे-अलगे (फिजिकल डिस्टेंस) रहभू न, त बार-बार कपड़ा बदले, आउ नहाय के जरूरत न हो! खाली जूता-चप्पल बाहर खोले पड़तो! अंई हो मुन्ना! एतना दूर वाला बतिया कैसे जान, जा हीं! टीभीया में इ सब न सुनलिअइ! तोरा कइसहूँ दिल्ली पहुंचावे के परयास करबउ की! तोर प्रतिभा गांव में दबल हउ! अब तो बुतरुअन, ‘पिताश्री’ आउ पत्नी, ‘आर्य पुत्र’ बोल हो! महाभारत मोड में हई! संस्कार के बात हई मुन्ना! बिआह फ़ाइनल करे में हमहीं न हलिअउ! हां मनीष दा! हमरा लग गेले हल, पइसा तो अइते-जइते रहतइ! पात्र न मिलतई! ठीके कह हू मनीष दा! भरी सभा में ‘चीरहरण’ देख के दुर्योधन, कर्ण आउ दुशासन से घृणा हो गेलो! द्यूत क्रीड़ा के कौन जरूरत हलई! बताहू न! अच्छा-भला ‘इंद्रप्रस्थ’ अलगे दे के विवाद शांत हो गेले हल! आज तोरे दिन हउ मुन्ना! हम तो एकटक से तोरा सुन रहलिअउ ह! बोलहू न, ‘दाश्री’! ह…ह…! मुन्ना, तू तो मुन्ना हहिं! आज बड़ी दिन के बाद ‘सोहर’ सुनलिअउ! तू जैसे कहलहीं हँ, ओसहीं स्क्रीनमा ससार रहलिअउ हल त बजे लगलउ “जुग-जुग जिय तू ललनमा, अंगनमा के भाग जागल हो… आज दिनमा सुहावन, रतिया लुभावन लागे हो…” मैथिली ठाकुर गा रहले हल! तीनों भाईवा-बहिनी टोहा नियन लग हई! बड़ी मधुर गाब हई! संगीत जरूर सुने के चाही मनीष दा! ऊर्जा के त्वरित संचार होब हई! हाँ, मुन्ना! अब एहि सब क्षेत्रीय सुनबउ! निरापद लग हई! कोई सुनबो कइलको त ठिसुआय के बात न न होतई! बीड़ी-बाम में अब न ओझरइबउ मुन्ना! रिक्वेस्टवा भी अभी पेंडिंग रहतउ! दूध वाली चाय हो जाय मुन्ना! बिना ओक्कर मन न भरतउ! आदी-तुलसी जरूर डलवइह! इम्यून सिस्टम ठीक रहतो! आदी लइलिए ह! तुलसी के पौधा हइए हई! हो गेलई आउका! नाक-मुंह झांप के रखिह! त…! स्वस्थ आउ जबरदस्त रहिए! त.. मनीष दा, चला मुन्ना हीरो बनने! ह…ह…!

 

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