संवाददाता.रांची.मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि सभी दलों के विधायकों को संसदीय व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए। दलगत भावना से ऊपर उठकर जनहित के लिए सदन में बातें रखनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा सदस्य राज्य की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे उनके सामाजिक और आर्थिक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सदन की चर्चाओं का व्यापक असर राज्य के विकासात्मक कार्यों पर पड़ता है। सदन के संचालन में विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, सभी विधायक, सभी पदाधिकारी एवं मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने मंगलवार को झारखंड मंत्रालय के सभागार में आयोजित पंचम झारखंड विधानसभा के सदस्यों के लिए द्वि-दिवसीय प्रबोधन-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर राज्य में विधानसभा का विशिष्ट स्थान है, जहां पर राज्य के चुने हुए शीर्ष प्रतिनिधि बैठते हैं। राज्य की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा से ही विकास का मापदंड तय होता है। विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के सहयोग से ही राज्य के प्रगति के लिए नियम और कानून बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों से चुनकर पहुंचे विधायक लोकतंत्र की इस मंदिर में अपने विधानसभा क्षेत्र एवं पूरे राज्य के कार्यों पर सवाल पूछते हैं। यहां पर व्यवहारिक तौर पर चीजें अलग अलग होती हैं। कोई जनप्रतिनिधि अपने सवाल के जवाब पर संतुष्ट होते हैं तो कई असंतुष्ट भी होते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में विधायकों को कई चीजों को जानने और समझने का मौका मिल रहा है। इस प्रबोधन कार्यक्रम में जितने भी लोग उपस्थित हुए हैं वे काफी अनुभवी है।मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में राज्य का कोई भी ज्वलंत विषय पर सकारात्मक डिबेट होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल संख्या बल के आधार पर कोई भी कानून राज्य की जनता पर नहीं थोपी जानी चाहिए। क्योंकि कई ऐसे कानूनों का आम जनता पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अब चीजें बदल चुकी हैं देश में-राज्य में-समाज में सूचना तंत्र मजबूत हुआ है। अब आम लोग सरकार की हर गतिविधियों का जानकारी रखते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के प्रत्येक एक्टिविटी का नजर जनता रखती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन के नेता के रूप में मैं सदन के नियमों और कानूनों के तहत सदन किस तरह सकारात्मक रूप से चले इसका पूरा प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि सदन का संचालन परंपरागत तरीके से भी होता है। आने वाला बजट सत्र नियम परंपराओं को अक्षुण्ण रखते हुए संचालित हो यही हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए।कहा कि संविधान के नियम के अनुरूप विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का विधायक ही बनाए जाते हैं। विधानसभा अध्यक्ष का यह कर्तव्य है कि दलगत भावना से ऊपर उठकर जनहित के लिए निष्पक्ष फैसला लें।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, पूर्व अध्यक्ष झारखंड विधानसभा चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह, सभी मंत्री, सभी विधायक, पूर्व महासचिव लोकसभा जीसी मल्होत्रा, पूर्व अपर सचिव राज्य सभा एनके सिंह, पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च में लेजिसलेटिव कार्यों के संचालक (प्रमुख) , सचिव झारखंड विधानसभा सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।