संवाददाता.पटना.अधिवेशन भवन में विश्व बाल दिवस पर आयोजित ‘किशोर-किशोरी शिखर सम्मेलन’ के उद्घाटनकर्ता उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1921 और 1925 में दो बार बिल गिरने के बाद 1929 में जाकर बिहार की बालिग महिलाओं को चुनाव में खड़ा होने का नहीं केवल मतदान का अधिकार मिला। बिहार में बाल विवाह के आंकड़ों में कमी आई है। 2005-06 में बाल विवाह की दर जहां 63 प्रतिशत थी वहीं 2015-16 में यह घट कर 42 फीसदी रह गयी है। बाल विवाह निषेद्य अभियान के बाद नया आंकड़ा आने पर यह दर और कम होगी।
श्री मोदी ने बच्चों से अपील की कि वे अपने अधिकार के साथ कत्र्तव्यों को भी जानें। अगर उनके पिता शराब पीते हो, बाल विवाह पर जोर दें,दहेज की मांग करें, बच्चों को पढ़ाई से रोके, बेटे और बेटी के बीच भेदभाव करें तो बच्चे उनके खिलाफ लड़ें। इसके साथ ही बच्चे यौन शोषण, स्कूल में पढ़ाई नहीं होने, मघ्यान्ह भोजन, पोशाक, छात्रवृति आदि में गड़बड़ी पर भी आवाज उठाएं।
उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों के लिए मूल बजट के अंग के तौर पर उन पर खर्च होने वाली राशि का अलग से प्रावधान कर रही है। 2018-19 में शादी नहीं करने वाली इंटर उत्तीर्ण 2,0798 लड़कियों को 10-10 हजार दिया गया। 2019-20 में इंटर उत्तीर्ण आवेदन करने वाली 3,6200 लड़कियों में से 2,71000 को उनके खाते में 10-10 हजार की राशि भेजी जा चुकी है। स्नातक करने वाली प्रत्येक लड़की को सरकार 25 हजार रुपये दे रही है।