संवाददाता.पटना.समय इंडिया की ओर से यहां गांधी मैदान में 9 नवंबर से आयोजित पुस्तक मेला बुधवार को एक बार फिर मिलने के वादे के साथ समाप्त हो गया। बुधवार को मेला परिसर में स्थित जयप्रकाश भारती सभागार साहित्य और आध्यात्म के अनूठे मेल का साक्षी बना। पुस्तक प्रेमियों ने पुस्तकों की जमकर खरीदारी की और काव्य संध्या तथा आध्यात्मिक ज्ञान का लाभ उठाया। मेला का अंतिम दिन होने के कारण बुधवार को पुस्तक प्रेमियों की सुबह से ही काफी भीड़ रही।
सिख सर्किट और कालचक्र का लोकार्पण
दोपहर में मेला परिसर में स्थित जयप्रकाश भारती सभागार में पत्रकार और पर्यटन प्रेमी रवि संगम की लिखी दो पुस्तकों- सिख सर्किट और काल चक्र का लोकार्पण समय इंडिया के प्रबंध न्यासी चंद्र भूषण और मीडिया प्रभारी अशोक प्रियदर्शी ने किया। इस मौके पर इन पुस्तकों की सहलेखिका प्रीति सिन्हा और महावीर मंदिर प्रकाशन के हेड पंडित भवनाथ झा भी मंच पर मौजूद रहे।
डा. ध्रुव कुमार को सम्मानित किया गया
समय इंडिया ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार डा. ध्रुव कुमार को उनकी पुस्तक बौद्ध धर्म और पर्यावरण के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान देते हुए ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी चंद्र भूषण ने कहा कि यह पुस्तक सभी पर्यावरण प्रेमियों को अवश्य पढ़नी चाहिए।
काव्य संध्या का आयोजन
शाम को राष्ट्रीय कवि संगम बिहार इकाई की ओर से पुस्तक मेला के प्रांगण में काव्य संध्या आयोजित हुई। ऐसे पावन संध्या में काव्य वर्षा हुई जिसमें बिहार के विभिन्न जिले से आए एक से एक कवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश अध्यक्ष श्री एच पी वर्मा , मुख्यातिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी संगम के संगठन मंत्री गजलकार सागर आनंद जी एवं मेला के मीडीया प्रभारी श्री अशोक प्रियदर्शी जी ने संयुक्त रूप से किया। जहानाबाद से आए सागर एक मिसरा प्यार बाला सुनाकर लोगों को ताली बजाने पर किया। पटना से राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेश महासचिव अविनाश कुमार पाण्डेय ने संस्कृत में (तेरीआख्या का यो काजल) गीत को संस्कृत में गाकर लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। उसके बाद रंजीत दुधू सर ने गाढ़ा जिन्स सस्ता फटल जिन्स महंगा आदि लोगों ने काव्य पाठ किया । मंच संचालन नवनीत कृष्णा धन्यवाद ज्ञापन अविनाश कुमार पाण्डेय जी ने किया।
आध्यात्म का अद्भुत सम्मिलन
देर शाम को मंच अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का गवाह बना। सर्वप्रथम लोगों ने सहजयोग किया। फिर गायत्री परिवार से जुड़े बच्चों और युवा प्रतिभागियों ने विभिन्न कार्यक्रमों का एक के बाद एक प्रदर्शन किया और अंत में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़ी बहनों का प्रवचन हुआ।