पाटलिपुत्र के शिवसेना प्रत्याशी का दावा

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संवाददाता.पटना. बिहार में खासकर भूमिहार जाति के लोग कांग्रेस छोड़ने के बाद से भाजपा से जुड़े रहे हैं. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा भूमिहार की उपेक्षा से इस जाति के लोग नाराज हैं. इसका अहसास होने के बाद भाजपा नेतृत्व द्वारा डैमेज कन्ट्रोल की कोशिश की जा रही है.बिहार के कई क्षेत्रों में भूमिहार मानसिकता में दिख रहे बदलाव से पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र भी अछूता नहीं हैं.

विगत सोमवार को पाटलिपुत्र से शिवसेना प्रत्याशी के रूप में नागमणि ने नामांकन किया तो भूमिहारों के उत्साह से यह अनुमान लगाया जाने लगा है कि भूमिहार जाति के लोग एनडीए और यूपीए के साथ नहीं बल्कि भूमिहार उम्मीदवार के साथ गोलबंद हो रहे हैं.सोशल मीडिया पर भी जातीय गोलबंदी हो रही हैं.पाटलिपुत्र यादव बाहुल क्षेत्र हैं. यादव जाति पर एक हद तक राजद का कब्जा माना जाता रहा हैं. लेकिन इस क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव अपने बलबूते इसमें सेंधमारी करते रहे हैं.दूसरे स्थान पर भूमिहार जाति का वोट हैं. भूमिहार, कुशवाहा और अति पिछड़ा और यादव का कुछ वोट भाजपा के पाले में आता है तब जाकर भाजपा जीतने में कामयाब होती हैं.

बिहार में भूमिहारों की उचित हिस्सेदारी नहीं मिलने पर पाटलिपुत्र में भी नाराजगी है.  इस नाराजगी को भुनाने में पाटलिपुत्र के शिवसेना प्रत्याशी नागमणि कुछ भी कामयाब हुए तो भाजपा उम्मीदवार का संकट बढ सकता है.नागमणि का दावा है कि भाजपा से नाराज सजातीय वोट की गोलबंदी उनके पक्ष में हो रही है.

 

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