जॉर्ज फर्नाडिस का निधन,बिहार में राजकीय शोक

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संवाददाता.पटना.समाजवादी नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं एनडीए के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक जॉर्ज फर्नाडिस का मंगलवार की सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। देश के बडे मजदूर नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिस पहली बार महाराष्ट्र के कद्दावर कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री एसके पाटिल को हराकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की थी।इमरजेंसी के बाद जेल में रहकर मुजफ्फरपुर से 1977 में रिकार्ड मतो से जीते और फिर बिहार के होकर रह गए। बिहार सरकार ने उनके निधन पर राजकीय शोक की घोषणा की है।

जॉर्ज साहब जिनको मुज़फ़्फ़रपुर की जनता ने चार बार संसद में अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा, उन्होंने बिजली एवं उद्योग पर काफी बल दिया। उनकी सोच थी कि बिना बिजली के विकास होना संभव नहीं है। अतः विकास के लिए बिजली और उद्योग जरूरी है। यही कारण है कि चाहे कांटी का थर्मल पॉवर स्टेशन हो या बर्टलर या आइडीपीएल, इन सभी प्लांट को लगवाने में जॉर्ज साहब का योगदान रहा है।
जॉर्ज साहब हमेशा चुनाव के समय छोटी—छोटी सभा को संबोधित करते थे। जब वे 1977 में जेल में बंद थे तो उनकी पत्नी लैला कबीर फ़र्नान्डिस चुनाव की बागडोर संभालती थीं। गैराज के ऊपर बने एक छोटे से कमरे में रहकर लैला कबीर फर्नाडिस ने चुनाव प्रचार का संचालन किया था। बाद में नीतीश कुमार के कहने पर वे नालंदा से चुनाव लड़े। लेकिन मुज़फ़्फ़रपुर से उनका रिश्ता हमेशा बना रहा। 1995 में समता पार्टी का गठन कर जॉर्ज ने लालू यादव को भी औकात बताने का काम किया था। कहते हैं कि जॉर्ज फ़र्नान्डिस किसी से नहीं डरते थे और बड़े से बड़े कद्दावर नेता के सामने नहीं झुके।

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