सादगी के प्रतीक थे डॉ राजेंद्र प्रसाद- रविशंकर प्रसाद

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संवाददाता.पटना.पटना स्थित टी.के .घोष अकैडमी में सोमवार को केंद्रीय न्याय एवं  विधि इलेक्ट्रॉनिक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद,भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद की मूर्ति का अनावरण में भाग लिया साथ ही श्री प्रसाद पटना स्थित बांस घाट में जाकर डॉ0 राजेंद्र प्रसाद जी की समाधि  पर माल्यार्पण करते हुए वहां स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा हो रहे निबंध प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया।

उन्होंने बच्चों को डॉ0  राजेंद्र प्रसाद जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर रविशंकर प्रसाद जी ने कहा राजेंद्र बाबू एक मेधावी छात्र थे गरीब परिवार में पैदा होने के बावजूद भी वे मैट्रिक में संलिप्त बंगाल उड़ीसा बिहार में उन्होंने टॉप किया। उसके बाद स्नातक में टॉप किया। साथ ही  कानून की पढ़ाई में भी उन्होंने टॉप किया। कोलकाता में उन्होंने वकालत की शुरुआत करते हुए कोलकाता एवं पटना हाईकोर्ट के सर्वश्रेष्ठ वकील रहते हुए भी  उन्होंने सब कुछ छोड़ कर आजादी की लड़ाई में बापू के साथ निकल पड़े। वे सादगी के प्रतीक थे। 12 साल तक राष्ट्रपति रहते हुए राष्ट्रपति भवन में रहने के बाद सदाकत आश्रम में आकर खपरैल के घर में रहे। क्योंकि उनका अपना कोई मकान नहीं था ऐसे ही विभूतियों के कारण हमारा देश आगे बढ़ा है। राजेंद्र बाबू से हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए।

मौके पर वरुण कुमार सिंह(कला संस्कृति प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष),पांडेय अखिलेश श्रीवास्तव, अमरनाथ श्रीवास्तव , अरुण माइकल ,राजकुमार साहनी,अमित कुमार लल्ला, राजू साहनी, संजय सिंह,विद्याधर पाठक, राजेश वर्मा, हिमांशु जी, लालजी आदि मौजूद थे।

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