संवाददाता.पटना.उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को पटना एम्स के पास एनएच 98 के मोड़ पर एम्स से दीघा के बीच 8 किमी पथ पर वृहद पौधारोपण अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह सभी की जिम्मेवारी है कि ‘पौधा लगाए और पौधा बचाए’।
वन महोत्सव के 10 दिवसीय अभियान के दौरान जनसहभागिता से पूरे प्रदेश में डेढ़ करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य है। 8, 9 व 10 अगस्त को प्रदेश के सभी स्कूलों में ‘ पृथ्वी दिवस’ का आयोजन कर छात्र-छात्राओं को वृक्ष के साथ ही पानी, बिजली के संरक्षण सहित 10 संकल्प दिलाए जायेंगे। इस दौरान ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार भी उपस्थित थे।
एम्स-दीधा पथ पर 6 से 8 फीट लम्बे 2 हजार पौधे बांस के घेरे में लगाए गए हैं। पटना शहर में एक दिन में अब तक का यह सर्वाधिक पौधारोपण है। 10 दिनों में पटना जिले में 2.11 लाख तथा पटना शहर में 1 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। शहर के 8 से 10 संस्थानों की ओर से प्रतिदिन पौधारोपण किया जा रहा है। वन महोत्सव के पहले दिन कैमूर जिले में दो घंटे के दौरान 2.5 लाख पौधे लगा कर एक कीर्तिमान स्थापित किया गया है। कैमूर की ही दादर पंचायत के सभी नागरिकों ने अपने-अपने नाम से 6 हजार पौधे लगा कर मिसाल कायम किया है।
उपमुख्यमंत्री ने आम लोगों से अपील की कि वे इस अभियान से जुड़े और अपनी खाली जमीन,घर के प्रांगण, गमले आदि में पौधा लगाएं। सुरक्षा बल के जवानों का आह्वान किया कि वे एक-एक पौधे को अपनाए और उसे बचाए। दूसरे कृषि रोड मैप के दौरान पूरे प्रदेश में 18.17 करोड़ पौधे लगाये गए जिसके परिणामस्वरूप हरित आवरण बढ़ कर करीब 15 प्रतिशत हो गया है। 2022 तक 15 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य है ताकि बिहार के हरित आवरण को बढ़ा कर 17 प्रतिशत तक किया जा सके।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि मनरेगा के तहत वन महोत्सव के दौरान 50 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य है। विगत 5 दिन में 10 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। मनरेगा के अन्तर्गत सार्वजनिक व सामुदायिक के अलावा निजी जमीन पर भी पौधारोपण का प्रावधान है। निजी जमीन पर पौधा लगाने वाले किसानों को पौधारोपण से लेकर उसके संरक्षण व सिंचाई तक का खर्च दिया जाता है। अगर किसी किसान के पास एक इकाई यानी 200 पौधा लगाने लायक जमीन नहीं है तो दो या तीन किसान मिलकर भी पौधारोपण कर सकते हैं। एक इकाई की देखभाल के लिए दो वनपोषक की तैनाती की जाती है जिन्हें कार्यदिवस के आधार पर भुगतान किया जाता है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण और मौसम को ठीक रखने के लिए अधिक से अधिक पौधा लगाने और उसे बचाने की जरूरत है। पेड़ कटने का असर मानव के अलावा पशु, पक्षियों व फसलों पर भी पड़ रहा है।