नीतीश कुमार ने फिर उठाई विशेष राज्य के दर्जे की मांग

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संवाददाता.पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है.वे लोकसंवाद कार्यक्रम के बाद मिडिया से बात कर रहे थे।

कार्यक्रम के बाद मीडिया प्रतिनिधियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अमित शाह से मुलाकात एक औपचारिक मुलाकात थी।अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनके साथ नाश्ता एवं भोजन भी हुआ तथा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी हुई। बिहार में हमलोग एक साथ अच्छी तरह से सरकार चला रहे हैं। बहुत सारी बातें अमित शाह जी ने पब्लिक डोमेन में पहले ही बता दिया है। इस पर विशेष वक्तव्य देने की जरुरत नहीं है।

विशेष राज्य के दर्जे की मांग से जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 से ही सरकार के स्तर से एवं हमारी पार्टी के द्वारा भी इसकी मांग की जाती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष पहले भी सभी दलों की तरफ से यह मांग रखी गई थी। 14वें वित्त आयोग की सिफारिश से यह संदेश गया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे पाना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि बिहार लैंड लॉक प्रदेश है। बिहार एक पिछड़ा राज्य है। यहां प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। बाढ़ एवं सुखाड़ जैसी आपदा से यह राज्य हमेशा पीड़ित रहता है। बाढ़ का कारण भी बाहर के जल का दबाव है। राज्य में उद्योग धंधे को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार ने अपने स्तर से कुछ नीतियां तैयार की हैं लेकिन बड़े उद्योग धंधों की स्थापना के लिए करों में छूट दिए जाने की जरुरत है। विशेष राज्य के दर्जे से यह रियायत मिल सकेगी, जिससे राज्य में रोजगार का सृजन हो सकेगा। अभी फिर से सर्वदलीय प्रस्ताव में विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर सहमति है। 15वें वित्त आयोग के सामने हमलोग अपने पक्ष को फिर से रखेंगे।

केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा कि केंद्र सरकार ने कहा था कि लागत मूल्य में 50 प्रतिशत का मुनाफा जोड़कर एम0एस0पी0 तय करेंगे, जिसके अनुरुप इस बार एम0एस0पी0 की राशि तय की गई है। किसानों की सहुलियत के लिए यह दर तय किया जाता है।

रविवार को एक अणे मार्ग स्थित ‘लोक संवाद’ में लोक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, श्रम संसाधन, ग्रामीण विकास (जीविका), कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, कला-संस्कृति, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, योजना एवं विकास तथा पर्यावरण एवं वन विभाग से संबंधित मामलों पर पांच लोगों द्वारा मुख्यमंत्री को सुझाव दिया गया।

इस कार्यक्रम में पटना के मुकेश कुमार हिसारिया, औरंगाबाद के आस्तिक शर्मा, वैशाली के चंदन कुमार सिंह, पटना की रेशमा प्रसाद, छपरा के सौरभ सुमन ने अपने सुझाव एवं राय मुख्यमंत्री के समक्ष रखे। संबंधित विभाग के प्रधान सचिव/सचिव ने वस्तु स्थिति को स्पष्ट किया। लोगों से प्राप्त सुझाव एवं राय पर मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव को समुचित कार्रवाई हेतु निर्देशित किया। लोक संवाद कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, कृषि मंत्री प्रेम कुमार,शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी, अल्पसंख्यक एवं गन्ना उद्योग मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद, पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ब्रजकिशोर बिंद, कला-संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, पुलिस महानिदेशक केएस  द्विवेदी, विकास आयुक्त  शशि शेखर शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, विशेष सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय अनुपम कुमार सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव उपस्थित थे।

 

 

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