आरक्षण को कोई खत्म भी करना चाहे तो कामयाब नहीं होगा-नीतीश कुमार

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संवाददाता. पटना.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आरक्षण एक संवैधानिक प्रावधान है इसे कोई खत्म करना चाहेगा तो कभी कामयाब नहीं हो सकता है।शनिवार को  जदयू  के  दलित-महादलित-आदिवासी  प्रकोष्ठ  द्वारा  पटना के  मौलाना  मजहरुल  हक  ऑडिटोरियम  सभाकक्ष  में  आयोजित  डॉ0  भीमराव  अंबेडकर  साहब की  127वीं  जयंती  समारोह  का  दीप  प्रज्ज्वलित  कर  उदघाट्न के बाद मुख्यमंत्री सभा को संबोधित कर रहे थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  अंबेडकर  साहब  कोई  मामूली  विद्वान  नहीं  थे,  बहुत  संघर्ष  करते हुए  उन्होंने शिक्षा  ग्रहण  की  थी। जितने प्रभावी ढंग  से  उन्होंने समाज  के  वंचित  तबकों  के सारे मुद्दों  को  आजादी  के  पूर्व  और  आजादी  की  लड़ाई  के  दौरान  उठाया  था,  इससे  गांधी  जी  भी उनके  प्रति  बहुत  स्नेह  रखते  थे।  जब  देश  आजाद  हुआ  तो  संविधान  के  निर्माण  के  लिए अंबेडकर  साहब  की  अध्यक्षता  में  ही  कमिटी  बनाने  का  निर्णय  लिया  गया।  संविधान  का  प्रारुप तैयार  करने  की  जो  जिम्मेदारी  उन्हें  सौंपी  गई  थी,  उस  पर  संविधान  सभा  में,  एसेंबली  में  चर्चा के  दौरान  पूछे  गए  प्रत्येक  सवालों  का  बाबा  साहब  ने  खुलकर  जवाब  दिया।  संविधान  के निर्माण  में  काफी  चर्चा  हुई  और  जब  संविधान  पूरा  हुआ  तो  पूरे  देश  ने  इसे  स्वीकार  किया।

उन्होंने कहा कि संविधान  के  रचयिता  बाबा  साहब  को  पीढ़ी-दर-पीढ़ी,  जब  तक  ये  देश  है  याद  करती  रहेगी। नई  पीढ़ी  के  लोगों  के  बीच  भी  अंबेडकर  साहब  के प्रति  लोगों  में  लगाव  बढ़ता  जा  रहा  है। मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  हम  गांधी  जी,  लोहिया  जी,  कर्पूरी  जी,  जे0पी0  के  विचारों  से  न सिर्फ  प्रेरित  हैं  बल्कि  उनके  विचारों  को  धरती  पर  उतारने  का  प्रयास  भी  कर  रहे  हैं। लोहिया  जी की  एक  बात  हम  हमेशा  उद्धृत  करते  रहते  हैं।  जब  9  राज्यों  में  सरकार  बनी  तो  लोहिया  जी ने  एक  ही  सुझाव  दिया  कि  मौका  मिला  है  काम  करने  का  तो  काम  कीजिए,  जुबान  से  कम बोलिये,  काम  इतना  कीजिए  कि  आपका  काम  बोले।  उस  समय  की यह बात  आज  तक  मेरे  दिमाग  में  है।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  जब  हम  वर्ष  2005  में  सरकार  में  आए  तो हमने  कहा  था  कि  न्याय  के  साथ  विकास  का  मतलब  है  सभी  तबके का  विकास,  सभी  समुदाय, सभी  इलाके का  विकास।  विकास की  मुख्यधारा  में  सबको लाना  है।  न्याय  के  साथ  विकास का यही  मतलब  है,  कानून  का  राज  स्थापित  करना।  हमलोगों  ने  रुल  ऑफ  लॉ,  कानून  का  राज स्थापित  किया।  संविधान  में  सभी  को  बराबरी  का  अधिकार  है।  संविधान  का  मूल  मकसद  है, सबको  समानता  का  अधिकार  और  यदि  अधिकार  मिला  है  तो  समान  अधिकार  का  उपयोग करने  के  लिए  उनको  सक्षम  तो  बनाना  पड़ेगा।  यही  वजह  है  कि  उनको  संविधान  में  आरक्षण देने  का  प्रावधान  है  और  यह  एक  संवैधानिक  प्रावधान  है।  जब  तक  धरती  है  इस  प्रावधान  को समाप्त  करने  की  किसी  को  ताकत  नहीं  है,  जो  उसका  लक्ष्य  है,  जब  तक  वो  अपने  लक्ष्य  तक पहुंच  नहीं  जाता,  उसके  साथ  कोई  छेड़छाड़  कर  ही  नहीं  सकता।  जो  इसमें  छेड़छाड़  करना  भी चाहेगा  तो कामयाब  नहीं  हो सकेगा।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  राज्य  सरकार  के  हाथ  में  एसेंबली  या  पार्लियामेंट  का  आरक्षण  तो नहीं  है  लेकिन  जब  नवंबर  2005  में  हमारी  सरकार  बनी,  उसके  बाद  2006  में  पंचायत  का चुनाव  हुआ,  उसमें  आरक्षण  देने  का  काम  हमने  किया।  जब  राजद  और  कांग्रेस  की  मिलीजुली सरकार  थी  तो  उन्होंने  क्यों  नहीं  आरक्षण  दिया  था।  हमने  अनुसूचित  जाति/अनुसूचित जनजाति  को  आबादी  के  मुताबिक  और  पिछड़ों  में  अतिपिछड़े  वर्ग  को  20  प्रतिशत  का  आरक्षण दिया।  महिलाओं  की  आबादी  आधी  है  तो  हिस्सेदारी  भी  50  प्रतिशत  होनी  चाहिए।  नगर निकायों  और  पंचायतों  का  तीन  चुनाव  भी  हो  चुका  है।  हमने  इसमें  आरक्षण  रोस्टर  का  पालन किया।  जो  लोग  समाज  में  कल  तक  उपेक्षित  थे,  वे  आज  नेतृत्व  कर  रहे  हैं।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  जब  हमारी  सरकार  बनी,  उस  वक्त  12.50  प्रतिशत  बच्चे  स्कूल नहीं  जा  पाते  थे,  जिसे  हमने  सबसे  बड़ी  चुनौती  के  रुप  में  स्वीकार  किया।  उसके  लिए  हमने काम  करने  के  दौरान  सर्वेक्षण  कराया।  हमने  सर्वेक्षण  में  पाया  कि  महादलित,  अल्पसंख्यक समाज  के  लोग  सबसे  पीछे  थे।  इसके  लिए  हमलोगों  ने  टोला  सेवक  और  तालिमी  मरकज  का काम  शुरु  किया।  उस  समय  से  काम  करने  का  ही  नतीजा  है  कि  आज  हम  एक  प्रतिशत  तक पहुंच  गए  है।  सभी  वर्ग  के  बच्चे  आगे  कैसे  पढ़ेंगे  तो  इसके  लिए  हमलोगों  ने  काम  करना  शुरु किया।  अनुसूचित  जाति/अनुसूचित  जनजाति  को  स्कॉलरशिप  तो  मिलती  रही  है।  वर्ष 2005-06  में  इनके  स्कॉलरशिप  की  राशि  32  करोड़  71  लाख  रुपये  थी,  जो  आज  की  तारीख में  बढ़कर  428  करोड़  रुपये  हो  गयी  है।

मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  बुनियादी  चीज  से  समझौता  मत  कीजिए।  हम  करप्शन,  क्राइम और  कम्यूनिलिजम  से  समझौता  नहीं  कर  सकते।  न्याय  के  साथ  विकास  के  रास्ते  चलते  रहेंगे और  समाज  का  जो  तबका  हाशिए  पर  है,  उन  सबको  मुख्यधारा  में  लाने  के  लिए  न  सिर्फ आरक्षण  बल्कि  उसके  साथ-साथ  उनके  लिए  विशेष  इंतजाम  किया  जाता  रहेगा।  बिहार  में  प्रेम,  सद्भाव और  शांति  का  माहौल  है।  भगवान  बुद्ध,  भगवान  महावीर,  गुरु  गोविंद  सिंह,  चंद्रगुप्त  मौर्य, आर्यभट्ट  की  जन्मस्थली  और  कर्मभूमि  रही  है।  इसी  धरती  से  गांधी  जी  100  साल  पहले आजादी  का  बिगुल  फूंकने के  लिए  नीलहों  के  खिलाफ  आंदोलन  के  लिए बिहार  आए  थे।

इस  अवसर  पर  भवन  निर्माण  मंत्री  महेश्वर  हजारी, राज्यसभा  सांसद  वशिष्ठ नारायण  सिंह, पूर्व  मंत्री  अशोक  चौधरी, पूर्व  मंत्री  श्याम  रजक,  विधान पार्षद  तनवीर  अख्तर,  चंद्रेश्वर  प्रसाद  चंद्रवंशी,  पूर्व  मंत्री    नरेंद्र  सिंह,  पूर्व  विधान पार्षद   अरुण  मांझी,  डॉ0  हुलेश  मांझी,  विद्यानंद  विकल, राज  किशोर  ठाकुर, मुन्ना  चौधरी  ने  भी  सभा  को  संबोधित  किया।  इस  अवसर  पर  कई  जनप्रतिनिधि, दलित-महादलित  समाज  के  लोगों  के  अलावा  अन्य  गणमान्य  व्यक्ति  उपस्थित  थे।

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