सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश,एक बार फिर चर्चा में

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अनिमेश कर्ण.नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। इस बार सुप्रीम कोर्ट के ही दो जजों के अलावा कुछ जाने माने न्यायविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जस्टिस मिश्रा की तीखी आलोचना की है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने फैसला दिया था कि मुख्य न्यायधीश ही सुप्रीम कोर्ट के मुखिया है। वह अकेले तय करेंगे की कौन सा मुकदमा किस जज को सुनवाई के लिए दिया जायेगा। और संविधान पीठ के गठन में कौन जज रहेंगे।

दरअसल इस मुद्दे पर तब से बहस हो रही है जब मुख्य न्यायाधीश के चार विरोधी जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्य  न्यायधीश पर आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मुख्य न्यायाधीश अपनी पसंद के मामले कुछ चुनिंदा जजों को भेजते हैं।

इसके बाद पूर्व कानून मंत्री और सीनियर वकील शांति भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की और इस बाबत कई मांग रखी। उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट एक नियम बनाए की किस तरह के मामले किस जज को भेजे जाएंगे। और ये तय करने का अधिकार सिर्फ मुख्य न्यायाधीश के बजाए कोल्लिजिम के पांच सीनियर जजों को दिया जाये। साथ ही उनकी याचिका की सुनवाई मुख्य व्यायाधीश न करें क्योंकि ये मामला उनसे जुड़ा है। कोई भी जज खुद अपना फैसला नहीं कर सकते।

लेकिन उस याचिका को सुनवाई के लिए अभी तक मंज़ूर नही किया गया है। जब की इस बीच लखनऊ के एक वकील अशोक पण्डे की ऐसी ही याचिका मंज़ूर कर ली गयी। इस मामले में सिर्फ पांच मिनट की सुनवाई हुई और फैसला सुरक्छित कर लिया गया। और एक हफ्ते बाद ही मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने फैसल सुना दिया जिसमें मुख्य न्यायाधीश को ही सर्वोसर्वा घोषित कर दिया।

गुरुवार को इसकी शिकायत शांति भूषण की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत में की। उन्होंने ने कहा कि शांति भूषण की याचिका को दरकिनार करने के लिए ही किसी और याचिका पर आनन फानन में फैसला दे दिया गया। जबकि इस मुद्दे पर विस्तृत बहस होनी चाहिए थी।जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रशांत भूषण को दो टूक जवाब देते हुए मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पर सवाल खड़ा कर दिया।

जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि — मैं आप की याचिका नहीं सुन सकता और इसकी वजह जग ज़ाहिर है। मैं नहीं चाहता की मैं कोई फैसला दूँ और उसे 24 घंटे में पलट दिया जाये। इससे पहले जस्टिस चेलामेश्वर ने मेडिकल कॉलेज घोटाले की जाँच की सुनवाई करने को स्वीकार कर ली थी। लेकिन बाद में मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को किसी और जज के पास भेज दिया। और सिर्फ दो घण्टे के अंदर पाँच जजों की पीठ का गठन किया। इस पीठ ने घंटे भर की सुनवाई के बाद तय कर दिया की मुख्य न्यायधीश ही सारा काम तय करेंगे।

इस परिपेक्ष में गुरुवार को जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा — देश अपना रास्ता खुद ढूंड लेगा। मैं आपने रिटायरमेंट के समय इस में नही पड़ना चाहता। पिछले दो महीने से मेरे खिलाफ क्या क्या बातें हो रही हैं।जस्टिस चेलामेश्वर की तीखी टिपण्णी के बाद प्रशांत भूषण अपनी गुहार लगाने मुख्य न्यायाधीश के पास गए जहां मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे।

जस्टिस चेलामेश्वर का ये हमला अकेला नही है। इससे पहले जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर सुप्रीम कोर्ट में अपोइंटमेन्ट का मामला उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने पहले हाई कोर्ट के जज जस्टिस के एम जोशेफ और वकील इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट में नियूक्ति की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार जस्टिस जोशेफ की नियुक्ति नहीं करना चाहती।

इस पर जस्टिस कुरियन जोसफ ने लिखा — सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में है। अगर कोर्ट सरकार के दबाव में रही तो इतिहास हमे माफ़ नहीं करेगा। कोई भी जज सरकार के खिलाफ आदेश देने से डरेगा। सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के फैसले को कुछ बड़े न्यायविद और समाजसेवियों ने भी कड़ी आलोचना की है। इन में जस्टिस पी बी सावंत, जस्टिस एच सुरेश, शांति भूषण, कामनी जैस्वाल, अरुंधति रॉय शामिल हैं।

 

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