आयुर्वेद का बिहार की भूमि से पुराना रिश्ता- मुख्यमंत्री

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संवाददाता.पटना.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  कहा  कि  आयुर्वेद  का  बिहार  की  भूमि  से  बड़ा  पुराना  रिश्ता  रहा  है।राजगीर  निवासी  आचार्य  जीवक  और  चाणक्य  तक्षशिला  में  पढ़े  थे  जो  पाकिस्तान  में  हैं। माना जाता  है  कि  आचार्य  जीवक  भगवान  बुद्ध  का  इलाज  भी  किये  थे। उन्होंने  कहा  कि  आयुर्वेद देशी  चिकित्सा  पद्दति  है  और  इसकी  बहुत  प्रतिष्ठा  रही  है।

मुख्यमंत्री शुक्रवार को ज्ञान  भवन  स्थित  अशोक  कन्वेंशन केन्द्र  में  आयोजित  तीन  दिवसीय  छठे  आयुर्वेद  पर्व  का  दीप  प्रज्ज्वलित  कर  उद्घाटन के बाद संबोधित कर रहे थे। तीन  दिवसीय  आयुर्वेद  पर्व  के  उद्घाटन  के  अवसर  पर  अखिल  भारतीय  आयुर्वेदिक  महासम्मेलन  के  अध्यक्ष  सह  राष्ट्रीय  पर्व  के  चेयर  पर्सन  पद्म  भूषण वैद्य  देवेन्द्र  त्रिगुणा  एवं  वैद्य  धंनजय  शर्मा  ने  मुख्यमंत्री  को  अंगवस्त्र,  पुष्प-गुच्छ  एवं  प्रतीक चिन्ह  भेंटकर  अभिनन्दन  किया।  आयुष  मंत्रालय  भारत  सरकार,  अखिल  भारतीय  आयुर्वेदिक महासम्मेलन  और  बिहार  सरकार  स्वास्थ्य  विभाग  के  संयुक्त  तत्वावधान  में  आयोजित  राष्ट्रीय  पर्व के  मौके पर  मुख्यमंत्री  सहित  मंच  पर  मौजूद अतिथियों ने स्मारिका  का  विमोचन  किया।

मुख्यमंत्री  ने  छठे  आयुर्वेद  पर्व  में  वैद्य  डॉ0  जगन्नाथ  त्रिपाठी,  वैद्य  इंदु  मिश्रा,  वैद्य यशवंत  सिंह,  वैद्य  अजमत  हुसैन  अंसारी  और  वैद्य  अलख  नारायण  सिंह  को  धन्वन्तरी  सम्मान से  सम्मानित  किया।  अखिल  भारतीय  आयुर्वेदिक  महासम्मेलन  के  अध्यक्ष  एवं  छठे  राष्ट्रीय  पर्व के  अध्यक्ष  पद्म  भूषण  वैद्य  देवेन्द्र  त्रिगुणा  को  मुख्यमंत्री  ने  पुष्प-गुच्छ,  अंगवस्त्र  एवं  स्मृति  चिह्न भेंटकर  स्वागत  किया।

छठे  आयुर्वेद  पर्व  को  संबोधित  करते  हुए  मुख्यमंत्री  ने  कहा  इस  तरह  के  कार्यक्रम  से  आयुर्वेद  से  जुड़े  लोगों  और  इसमें  दिलचस्पी रखने  वाले  लोगों  को  काफी  प्रसन्नता  होगी।  मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  इस  तीन  दिवसीय  आयुर्वेद पर्व  के  माध्यम  से  अपनी  पुरानी  चिकित्सा  पद्धति  से  नई  पीढ़ी  के  लोग  जागरूक  होंगे  और उनमे  जागृति  आएगी।  उन्होंने  कहा  कि  भारत  में  आयुष  मंत्रालय  बना  है,  यह  अच्छी  बात  है, जिसमें  आयुर्वेद,  यूनानी  जैसी  अनेक  देशी  और  पुरानी  चिकित्सा  पद्धतियों  की  महत्ता  को  ध्यान में  रखते हुए  शामिल  किया  गया है  ताकि  उसका  उपयोग  हो सके।

उन्होंने  कहा  कि  मुझे  पूरी  उम्मीद  है  कि  इस  महासम्मेलन  में आयुर्वेद  पर  अनुसंधान  की  महत्ता  एवं  गंभीरता  को  समझते  हुए  विशेष  तौर  से  चर्चा  की जायेगी।  मुख्यमंत्री  ने  कहा  कि  इस  दिशा  में  अनुसंधान  होगा  तो  बहुत  सारी  नई  बीमारियों  का इलाज  भी  इस  चिकित्सा  पद्धति  के  माध्यम  से  संभव  हो सकेगा।  उन्होंने कहा  कि  बीमारी  न  हो इसके  लिए  दिनचर्या,  खान-पान  एवं  आचार  व्यवहार  का  कांसेप्ट  होना  चाहिए,  जिसे  प्रचारित करने  की  जरूरत  है  ताकि  लोगों  में  स्वास्थ्य  के  प्रति  जागृति  आ  सके।  हमलोग  चाहेंगे  जितने भी  बिहार  में  आयुर्वेदिक  कॉलेज  हैं,  सब  ठीक  से  कार्यरत  हो  जाय।

समारोह  को  स्वास्थ्य  मंत्री  मंगल  पाण्डेय,  प्रधान  सचिव  स्वास्थ्य   संजय  कुमार, आयुष  विभाग  भारत  सरकार  के  संयुक्त  सचिव  रौशन  जग्गी,  वैद्य  बनवारी  लाल  गौड़, अखिल  भारतीय  आयुर्वेदिक  महासम्मेलन  के  अध्यक्ष  पद्म  भूषण  वैद्य  देंवेंद्र  त्रिगुणा  ने  भी सम्बोधित  किया। इस  अवसर  पर  वैद्य  बनवारी  लाल  गौड़,  आर्यभट्ट  ज्ञान  विश्वविद्यालय  के  पूर्व  प्रति कुलपति  एवं  बिहार  राज्य  आपदा  प्रबंधन  प्राधिकरण  के  सदस्य   उदयकांत  मिश्र, मुख्यमंत्री के  सचिव  मनीष  कुमार  वर्मा,  अखिल  भारतीय  आयुर्वेदिक  महासम्मेलन  के  जेनेरल  सेक्रेटरी  दीनानाथ  उपाध्याय,  रणजीत  पौराणिक,  वैद्य  प्रभात  कुमार,  जिलाधिकारी  कुमार  रवि  सहित देश  के विभिन्न  हिस्सों  एवं  वियतनाम  से  आये  डेलीगेट्स एवं छात्र-छात्राएं  मौजूद थी।

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