प्रमोद दत्त.
बिहार में होनेवाले उपचुनाव को लेकर राजद-कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल को लेकर चल रहे विवाद का अंत हुआ और भभुआ विधानसभा सीट कांग्रेस के कोटे में चली गई.कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच बातचीत में समझौता हो गया.
ऊपरी तौर पर यह तेजस्वी-कौकब वार्ता का नतीजा लग रहा हो लेकिन इस समझौते में कांग्रेस आलाकमान और राजद सुप्रीमों की बड़ी भूमिका रही.दरअसल,अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा सीट राजद के कब्जे वाली सीट थी जिसपर कोई विवाद नहीं था.भभुआ विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा था और विगत चुनाव में महागठबंधन कोटे से जदयू दूसरे स्थान पर था.
स्वाभाविक तौर पर भभुआ पर राजद-कांग्रेस के बीच मंथन की जरूरत थी जबकि लालू प्रसाद ने तीनों सीटें लड़ने की एकतरफा घोषणा कर दी.यह कांग्रेस आलाकमान को नागवार गुजरा.लेकिन वोट बैंक के लिहाज से कांग्रेस की मजबूत दावेदारी भी नहीं बनती थी.इसलिए आलाकमान ने प्रदेश स्तर के नेताओं को सामने किया.नेताओ ने दावेदारी प्रस्तुत की तो राजद नेता कांग्रेस को उनकी औकात बताने लग गए.
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि लालू प्रसाद तक कांग्रेस आलाकमान का मैसेज पहुंचाया गया.असली लड़ाई 2019 लोकसभा चुनाव बताते हुए समझाया गया कि लोकसभा चुनाव के पहले यूपीए की एकता का मैसेज देना भी कितना जरूरी है.इसके साथ साथ भभुआ का कांग्रेस के लिए महत्व भी बताए गए.कहा गया कि यह सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो मीरा कुमार जैसी कद वाली नेता की परंपरागत सीट है.वही मीरा कुमार जिसे राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर राजद ने भी समर्थन दिया था.वैसे भी भभुआ सीट कांग्रेस को मिलेगी तो मीरा कुमार को गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में उतारना आसान हो जाएगा.कांग्रेस के इन्ही तर्कों ने तालमेल को भी आसान बना दिया.