अनूप नारायण सिंह.
पटना.आधुनिकता के इस दौर में आज भी गुरुकुल की परंपरा कायम है। जहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान लाखों की फीस वसूलते हैं।वहीं, पटना का एक संस्थान मात्र ग्यारह रुपये गुरु दक्षिणा लेकर छात्रों को दारोगा से लेकर आईएएस और आईपीएस तक बनाता है। हर साल यहां जब यूपीएससी और बीपीएससी से लेकर स्टेट स्टॉफ सलेक्शन का रिजल्ट आता है तो इस गुरुकुल में जश्न का माहौल होता है।
यहां सिर्फ बिहार और झारखण्ड से ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश उतराखंड और मध्य प्रदेश से भी छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने आते हैं और सभी के लिए एक ही फ़ीस है ग्यारह रुपये। सबसे ख़ास बात यह है की इस गुरुकुल के प्रधान हैं रहमान। जिन्हें सभी गुरु रहमान के नाम से जानते है.
एक मुसलमान होने के बाद भी वो सिर्फ वेदों के ज्ञाता ही नहीं बल्कि उनके गुरुकुल में वेदों की पढ़ाई भी होती है।पटना के नया टोला में चलता है अदम्य अदिति गुरुकुल।गुरुकुल के नाम से यह संस्थान 1994 से चल रहा है।1994 में जब बिहार में 4 हजार दारोगा की बहाली निकली थी तो इस संस्थान में पढने वाले करीब ग्यारह सौ लड़कों ने सफलता प्राप्त की थी।यही नहीं बाद में अन्य प्रतियोगी परिक्षाओं में भी यहां के लड़कों ने काफी अच्छा किया।
संस्थान के निदेशक रहमान कहते हैं, उन्हें याद नहीं की इन वर्षों में कितनों ने सफलता प्राप्त की लेकिन हर साल उनके संस्थान से दर्जनों स्टूडेंट्स निकलते हैं अपनी सफलता को लिए। और सफल छात्रों के अनुदान से ही चलता है इस संस्थान की व्यवस्था।
गुरु रहमान के अनुसार गरीबी का मतलब लाचारी नहीं बल्कि गरीबी का मतलब कामयाबी होता है। यह जिद और जूनून से हासिल किया जा सकता है जो उनके गुरुकुल में लड़के करते हैं। शिक्षक दिवस पर इस बार गुरु रहमान ने छात्र राहत के लिये चन्दा इकट्ठा किया है।
गुरु रहमान का कहना है कि आज की तारीख में छात्र सनातन संस्कृति से विमुख हो गए हैं अगर सही मायने में उन्हें सनातन संस्कृति के बारे में बताया जाए, शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दी जाए तो उनके कार्य में काफी मदद मिलेगी मैं अक्सर यही कोशिश करता हूं कि छात्रों में शिक्षा और संस्कार दोनों साथ-साथ दिया जाए।दिघिचि देहदान में अपना शरीर दान कर चुके गुरु रहमान समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भी संघर्ष कर रहे हैं