इशिता स्वाति.पटना.जहां एक ओर 351वें प्रकाशपर्व के अवसर पर गुरुनगरी पटना साहिब की का नजारा भक्तिमय रहा वहीं, 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी कला का जौहर दिखाया। चार दिनों तक चले इस कार्यक्रम का सोमवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।
इस दौरान कार्यक्रम में विभाग प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, अपर सचिव आनंद कुमार, उपसचिव तारानंद वियोगी, संस्कृतिक निदेशक सत्यप्रकाश मिश्रा, अतुल वर्मा, संजय कुमार, अरविंद महाजन, विनोद अनुपम और मीडिया प्रभारी रंजन सिन्हा उपस्थित रहे। समापन समारोह के दौरान अपने संबोधन में प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने सबका आभार जताया और कहा कि बिहार वासियों के लिए 350वें प्रकाश पर्व और इसके शुकराना समारोह का आयोजन गौरवपूर्ण रहा। इस पूरे उत्सव के जरिए दुनिया भर में गुरू गोविंद सिंह जी महाराज के संदेश को फैलाने का सौभाग्य बिहार को मिला।
उन्होंने कहा कि कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने बाहर से आए श्रद्धालुओं और दर्शन को अन्य लोगों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मनमोह लिया। हम इसके लिए बिहार सरकार की ओर से उनका भी आभार व्यक्त करते हैं।
इससे पहले भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित इलाहाबाद (यूपी) के अभय राज ने देशभक्ति से ओतप्रोत भोजपुरी लोकगीत ‘भूले नाहीं देस कुर्बानियां’ की प्रस्तुति दी, जिसे सुनकर दर्शक दीर्घा में तालियों की झनझनाहट गूंज उठी। वहीं, देवभक्ति गीत ‘बम बम भोले’ ने पूरा माहौल भक्ति में बना दिया, तो भ्रूण हत्या पर आधारित लोक गीत ‘कोखिया में रोएबी’ सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए। इस दौरान हारमोनियम पर मायाराम यादव, ढोलक पर नागेंद्र मिश्रा, मंजीरा भूरेलाल यादव, छांछ पर पारसनाथ यादव, करताल पर राजेश कुमार यादव और झांझ पर राकेश कुमार व रूपनाथ ने साथ दिया।
वहीं, गाजीपुर उत्तर प्रदेश के सुनील कुमार द्वारा प्रस्तुत धोबिया लोकनृत्य को भी लोगों ने खूब सराहा,जो मुख्य रूप से शादी-विवाह, जन्मोत्सव, होली, दिवाली, दशहरा एवं मेला आदि में गाया जाता है। इस नृत्य में गायन – वादन और विशेष रूप से नृत्य का समावेश होता है। धोबिया लोकनृत्य में गायन संजय कुमार और अभिषेक ने किया, जबकि मृदंग पर उनका साथ प्रताप, कसावर पर मुसाफिर, झांझ पर सबाजीत, रडसींगा पर रंगीलाल व धुरालाल ने दिया। जौनपुर (यूपी) से आये फौजदार सिंह ने बुंदेलखंड के लोकनृत्य आल्हा की मनोरम प्रस्तुति दी। इसमें फौजदार सिंह का साथ राम बहाल सिंह, राधेकृष्ण तिवारी, रमायण प्रसाद, सुरेश अंजान, रामचंद्र गुप्ता नेदिया, जबकि ढोलक पर राम बहाल, मंजीरा पर रामचंद्र प्रसाद, झांझ पर सुरेश, रामचंद्र और राधेकृष्ण ने अपनी बेजोड़ कला का प्रदर्शन किया। फिर झारखंड सरायकेला के प्रभात कुमार महतो अपने छऊ नृत्य से दर्शकों के दिल में उतर गए। इस दौरान उनका साथ घासी राम महतो, जगदीशचंद्र महतो, सुचान महतो, अजीत कुमार, गुलाब सिंह मुंडा, कृष्णकांत महतो, अर्जुन महतो, लखींद्र गोप ने दिया।
उधर, श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में अंतिम दिन 25 दिसंबर को प्रभाकर एवं दिवाकर कश्यप व पं. रामप्रकाश मिश्र उप शास्त्रीय गायन का गायन किया। पं. रामप्रकाश मिश्रा बनारस घराने के जाने माने शास्त्रीय संगीत कलाकार हैं, जिन्होंने अपने गायन की प्रारंभिक शिक्षा अपने बड़े भाई रामभोज मिश्रा से ली। तो कई सम्मानों से अलंकृत प्रभाकर और दिवाकर कश्यप बंधु शास्त्रीय और उपशास्त्रीय दोनों शैली की गायकी में दक्षता रखते हैं। इनकी प्रस्तुति वकाई लाजवाब रही और दर्शकों को मदहोश कर दिया। वहीं, रजंना झा ने दुपहरिया बिताइल हो बलमा और नई झुलनी के छैयां बलम से लोगों का मन मोह लिया। इसके अलावा प्रभाती मुखर्जी ने ठुमरी दादरा ‘कटै नहीं रतिया, कभो कंगना कटार बन जाला की प्रस्तुति दी। तो पुनीता शर्मा ने कत्थक के जरिये भगवान शिव के पांच चेहरे ईशान, तत्पुरूष, अघोरा, वाम देव, और सद्योजता को पंचतत्व से जोर कर दिखाया, जिनका प्रतिनिधित्व करते हैं आकाश, हवा, पानी, अग्नि, जल और धरती। इस दौरान उनका साथ दिया नेहा चौहान, मीनू गौर, हीना हुसैन, चांद खान, राज और अनमोल ने।